कतर की अदालत ने बृहस्पतिवार को भारतीय नौसेना के आठ पूर्व कर्मियों को मौत की सजा सुनाई है। ये सभी आठ भारतीय नागरिक अल दाहरा कंपनी के कर्मचारी हैं जिन्हें पिछले साल जासूसी के कथित मामले में हिरासत में ले लिया गया था। कतर के अधिकारियों की ओर से भारतीयों के खिलाफ लगाए गए आरोपों को सार्वजनिक नहीं किया गया है। कतर की अदालत के इस फैसले से भारत बेहद स्तब्ध है और इस मामले में सभी कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहा है।
अपनी प्रतिक्रिया में भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा, वह इस मामले को ‘बहुत महत्व’ दे रहा है और सभी कानूनी विकल्प तलाश रहा है। विदेश मंत्रालय ने कहा, उसे शुरू में जानकारी मिली कि कतर की एक अदालत ने आज अल दाहरा कंपनी के आठ भारतीय कर्मचारियों से जुड़े मामले में फैसला सुनाया है। मंत्रालय ने कहा, हम मौत की सजा सुनाए जाने के फैसले से बेहद स्तब्ध हैं और फैसले के विस्तृत ब्योरे की प्रतीक्षा कर रहे हैं। हम परिवार के सदस्यों और कानूनी दल के संपर्क में हैं। हम सभी कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। विदेश मंत्रालय ने कहा, वह भारतीयों को सभी राजनयिक परामर्श और कानूनी सहायता देना जारी रखेगा। मंत्रालय के एक बयान में कहा गया, हम इस मामले को बहुत महत्व देते हैं और इस पर बारीकी से नजर रख रहे हैं। हम सभी तरह की राजनयिक और कानूनी सहायता देना जारी रखेंगे। हम फैसले को कतर के अधिकारियों के समक्ष उठाएंगे। इसमें कहा गया है कि इस मामले में कार्यवाही की गोपनीय प्रकृति के कारण फिलहाल कोई और टिप्पणी करना उचित नहीं होगा। कतर में भारत के राजदूत ने राजनयिक पहुंच मिलने के बाद एक अक्टूबर को जेल में बंद इन भारतीयों से मुलाकात की थी।
इन सभी पर आरोप है कि ये लोग इस्रइल के लिए जासूसी कर रहे थे। ये सभी अफसर कतर की एक निजी कंपनी दाहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज के लिए काम कर रहे थे। यह निजी कंपनी कतर के सैन्य बलों को ट्रेनिंग समेत कई सेवाएं देती हैं। हालांकि सभी नौसैनिकों और भारत सरकार ने कतर प्रशासन के सभी आरोपों को खारिज किया है।
इन्हें सुनाई गई सजा
कैप्टन नवतेज सिंह गिल
कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा
कैप्टन सौरभ वशिष्ठ
कमांडर अमित नागपाल
कमांडर पूर्र्णेदु तिवारी
कमांडर सुगुणाकर पाकाला
कमांडर संजीव दत्ता
नौसैनिक रागेश