नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकाजरुन खरगे ने लोकसभा चुनाव के दौरान पिछले 10 साल के शासन को ‘महज ट्रेलर’ और ‘पिक्चर अभी बाकी है’ बताने वाले बयान के लिए सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधा। उनके तीसरे कार्यकाल में पेपर लीक, जम्मू एवं कश्मीर में आतंकी हमले, ट्रेन दुर्घटना, हवाई अड्डों की छत के कुछ हिस्सों के ढहने और पुल गिरने की विभिन्न घटनाओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इनसे अंदाजा लग गया है कि उनकी आगे की ‘पिक्चर’ कैसी होने वाली है।
राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए विपक्ष के नेता खरगे ने कहा कि प्रधानमंत्री ने लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान कई बार कहा है कि ‘पिछले 10 साल तो बस ट्रेलर थे, अभी असली तस्वीर बाकी है।’ खरगे ने चुटकी लेते हुए कहा, ‘अब पीएम की पिक्चर कैसी होने वाली है, पिछले एक महीने में अंदाजा लगा है।’ हाल की कई घटनाओं का उल्लेख करते हुए खरगे ने बताया कि पिछले एक महीने में परीक्षा पेपर लीक, कई परीक्षाओं को रद्द करने, ट्रेन दुर्घटनाएं, जम्मू एवं कश्मीर में तीन आतंकी हमले, राम मंदिर में पानी का रिसाव, तीन हवाई अड्डों की छतों के कुछ हिस्सों का गिरना, टोल टैक्स में वृद्धि और रुपए में ‘ऐतिहासिक’ गिरावट की घटनाएं हुई हैं। उन्होंने कहा कि हाल ही में पेपर लीक के कारण 30 लाख छात्रों का भविष्य प्रभावित हुआ है। उन्होंने कहा, ‘अगर ऐसा होता रहा तो छात्र अपनी पढाई बंद कर देंगे।’
खरगे ने कहा कि पिछले सात वर्षों में, 70 बार पेपर लीक हुए हैं और इनसे दो करोड़ छात्रों का भविष्य प्रभावित हुआ है। उच्च सदन में विपक्ष के नेता ने कहा कि सरकार इस मामले पर कुछ नहीं कर रही है और संसद में इस मुद्दे को उठाने के लिए विपक्षी दलों को दोषी ठहराती है। उन्होंने सरकार से देश में परीक्षा पण्राली में सुधार करने को कहा। पिछले सप्ताह संसद के संयुक्त सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर निराशा व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि भाषण में मणिपुर की स्थिति का कोई उल्लेख नहीं किया गया। खरगे ने कहा कि प्रधानमंत्री मणिपुर का दौरा नहीं कर रहे हैं जो पिछले एक साल से जल रहा है। राष्ट्रपति के अभिभाषण को ‘घोर निराशाजनक’ और केवल ‘सरकार की तारीफों के पुल बांधने वाला’ करार देते हुए उन्होंने कहा कि इसमें न तो कोई दिशा है और ना ही कोई दृष्टि है।
खरगे ने राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा-स्नातक (नीट-यूजी) परीक्षा की जांच उच्चतम न्यायालय की निगरानी में जांच, जाति आधारित जनगणना कराने और अग्निवीर योजना को रद्द करने की मांग की। उन्होंने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर सिर्फ नारेबाजी करने और ठोस काम न करने के साथ ही संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने का भी आरोप लगाया और लोकसभा चुनाव के नतीजों का उल्लेख करते हुए कहा कि चुनावों में देश का संविधान और जनता सब पर भारी रहे और इसने संदेश दिया कि लोकतंत्र में अहंकारी ताकतों को कोई जगह नहीं है। उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रपति का अभिभाषण की विषय-वस्तु सरकारी होती है। सरकारी पक्ष को इसे दृष्टि पत्र बनाना था और यह बताना था कि चुनौतियों से कैसे निपटेंगे लेकिन उसमें ऐसा कुछ नहीं है।’ राष्ट्रपति द्रौपदी मुमरु के पहले अभिभाषण का जिक्र करते हुए खरगे ने कहा कि वह ‘चुनावी’ था और दूसरा उसी की प्रति जैसा है। उन्होंने कहा, ‘इसमें ना कोई दिशा है, ना ही कोई दृष्टि है। हमें भरोसा था कि राष्ट्रपति संविधान और लोकतंत्र की चुनौतियों पर कुछ बातें जरूर रखेंगी, सबसे कमजोर तबकों के लिए कुछ ठोस संदेश देगी लेकिन हमें घोर निराशा हुई कि इसमें गरीबों, दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के लिए कुछ भी नहीं है।’ उन्होंने कहा, ‘पिछली बार की तरह यह केवल तारीफों के पुल बांधने वाला अभिभाषण है।’
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि अभिभाषण में बुनियादी मुद्दों को नजर अंदाज किया गया है और विफलताओं को छुपाया गया है, जिसमें यह सरकार माहिर है। राष्ट्रपति के अभिभाषण में सबको साथ लेकर चलने की बात का जिक्र करते हुए खरगे ने कहा कि इस भाव से किसी को इनकार नहीं हो सकता लेकिन 10 साल का विपक्ष का तजुर्बा यह है कि यह बातें भाषणों तक ही सीमित रही है और इनका जमीन पर अमल नहीं हुआ बल्कि उल्टा हुआ।