
श्रीनगर। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को कहा कि देश में प्राचीन, मूल रूप से विकसित ज्ञान खोजना विद्वानों का दायित्व है। कश्मीर विविद्यालय के 20वें दीक्षांत समारोह में अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि नई शिक्षा नीति भारतीय ज्ञान पण्राली पर केंद्रित है।
उन्होंने कहा, झेलम नदी के किनारे बसे शहर को बचाने के लिए 1,200 साल पहले किए गए काम को आज हाइड्रोलिक इंजीनियरिंग के रूप में जाना जाता है। प्राचीन भारत में ऐसे कई उदाहरण हैं। मूल रूप से विकसित ज्ञान की खोज करना, आज विद्वानों का दायित्व है। केंद्र शासित प्रदेश के पहले दौरे पर आयीं राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने भाषण की शुरुआत ‘यी मौज काशीर’ (ओ मां कश्मीर) से की, जिस पर वहां मौजूद लोगों ने तालियां बजायीं। उन्होंने कहा कि कश्मीर विविद्यालय पर हजरतबल दरगाह का करम है।
यह विविद्यालय दरगाह के समीप स्थित है। राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में विविद्यालय में छात्राओं की संख्या 55 प्रतिशत होने पर खुशी जतायी। उन्होंने कहा, ‘मुझे यह जानकर खुशी हुई कि कश्मीर विविद्यालय में 55 प्रतिशत छात्राएं हैं। यहां स्वर्ण व अन्य पदक विजेताओं में 65 प्रतिशत छात्राएं हैं। मैंने पाया कि सम्मानित किए गए 21 विद्यार्थियों में 17 लड़कियां हैं।’ दीक्षांत समारोह के दौरान राष्ट्रपति द्वारा 21 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक दिये गये। राष्ट्रपति ने कहा, शिक्षित लड़कियां हमारे समाज का चेहरा और भविष्य हैं।

