दिल्ली में एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में उन्होंने जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा व्यवस्था के बारे में जानकारी ली। इसके अलावा शाह ने अमरनाथ तीर्थयात्रा की तैयारियों की भी समीक्षा की, जो 29 जून से शुरू होने जा रही है। बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे, केंद्रीय गृह सचिव, खुफिया ब्यूरो के निदेशक, सेनाध्यक्ष (पदनाम) लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी सहित वरिष्ठ सैन्य अधिकारी, सीएपीएफ के महानिदेशक, मुख्य सचिव, जम्मू-कश्मीर के डीजीपी और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। बता दें, पिछले हफ्ते जम्मू-कश्मीर के रियासी में वैष्णो देवी के दर्शन करने जा रहे तीर्थयात्रियों की बस पर आतंकवादियों ने हमला कर दिया था। इस घटना में एक नाबालिग समेत 9 लोगों की मौत हो गई थी और 41 अन्य घायल हो गए थे।
केंद्रीय गृह मंत्री ने सुरक्षा एजेंसियों को क्षेत्र प्रभुत्व योजना और जीरो टेरर प्लान के माध्यम से कश्मीर घाटी में हासिल की गई सफलताओं को जम्मू संभाग में दोहराने का निर्देश दिया। शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार अभिनव तरीकों से आतंकवादियों पर नकेल कस कर एक मिसाल कायम करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने सभी सुरक्षा एजेंसियों को मिशन मोड में काम करने और समन्वित तरीके से त्वरित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई अपने निर्णायक चरण में है। उन्होंने कहा कि हाल की घटनाओं से पता चलता है कि आतंकवाद अत्यधिक संगठित आतंकवादी हिंसा से सिमट कर महज छद्म युद्ध में बदल गया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि हम इसे जड़ से खत्म करने के लिए भी दृढ़ संकल्पित हैं।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि भारत सरकार के प्रयासों से कश्मीर घाटी में आतंकवाद से संबंधित घटनाओं में उल्लेखनीय कमी के साथ बहुत अच्छे सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि कानून-व्यवस्था की स्थिति में सुधार कश्मीर घाटी में पर्यटकों की रिकॉर्ड आमद से परिलक्षित होता है। शाह ने लोकसभा चुनावों के सफल आयोजन के लिए सुरक्षा एजेंसियों और जम्मू-कश्मीर प्रशासन की सराहना की, जिसमें जम्मू-कश्मीर में रिकॉर्ड मतदान हुआ।