छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही तत्काल प्रभाव से आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है। राज्य के सत्ताधारी दल कांग्रेस और मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी के नेताओं ने कमर कस ली है। बीजेपी ने चुनाव की घोषणा के साथ ही अपने सभी 90 प्रत्याशियों की लिस्ट जारी कर दी जबकि कांग्रेस के उम्मीदवारों को लेकर माथा पच्ची रायपुर से लेकर दिल्ली तक जारी है। निर्वाचन की घोषणा के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की त्वरित प्रतिक्रिया आई। उन्होंने ट्वीट किया कि हैं तैयार हम।
सीएम ने ट्वीट करते हुए लिखा- हैं तैयार हम! शुरू हो चुका है युद्ध, माटी के अभिमान का। नहीं रुकेगा अब ये रथ। छत्तीसगढ़िया स्वाभिमान का। नवा छत्तीसगढ़ गढ़ने के संकल्प के साथ हर एक छत्तीसगढ़िया तैयार है, एक बार फिर भरोसे के हाथ जुड़ेंगे। भरोसा बरकरार, फिर से कांग्रेस सरकार। जबकि पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने इस सवाल का जवाब दिया कि राज्य में बीजेपी का मुख्यमंत्री चेहरा कौन होगा? उन्होंने कहा कि बीजेपी तो सामूहिक नेतृत्व पर चुनाव लड़ रही है जबकि कांग्रेस में क्या हाल है। भूपेश है तो भरोसा है का नारा अब बदल गया है और इसे बदल कर ‘भरोसे की सरकार’ क्यों किया गया है? डॉक्टर रमन सिंह ने राज्य में परिवर्तन का भरोसा जताया है।
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने कहा कि प्रदेश में शराबबंदी समेत सभी वादाखिलाफी से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ आक्रोशित जनता का इस पर्वितन में महत्वपूर्ण योगदान होगा। छत्तीसगढ़ में भूपेश से भरोसा समाप्त हो चुका है। अब तो कांग्रेस ने भी सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने की घोषणा की है, भूपेश है तो भरोसा है का नारा बदलकर भरोसे की सरकार कर दिया गया है। पिछले 5 साल में कांग्रेस की इस सरकार ने सिर्फ भ्रष्टाचार और अपराध को बढ़ावा दिया है, आदिवासी विकास के लिए भी कोई कार्य नहीं किए हैं। इन सभी कुनितियों से प्रदेश की जनता बहुत आक्रोशित है और चुनाव के इंतजार में, अब बहुत जल्द ही छत्तीसगढ़ की जनता प्रदेश में परिवर्तन कर पूर्ण बहुमत के साथ भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनायेगी। डॉक्टर रमन सिंह पुन: राजनंदगांव से चुनाव मैदान में हैं।
यह कयास भी लग रहे हैं कि ऊंट किस करवट बैठेगा? क्योंकि इस बार नही है अजीत जोगी फैक्टर। राज्य की कुल 90 सीटों पर 2018 मे कांग्रेस 43.9 फीसदी वोट शेयर के साथ 68 सीटें जीतने में सफल रही थी। 15 साल सरकार चलाने के बाद बीजेपी 15 सीट पर सिमट गई। बीजेपी को 33.6 फीसदी वोट मिले थे। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ को 7.8 फीसदी वोट शेयर के साथ पांच सीटें मिली थीं। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को भी 3.9 फीसदी वोट मिले थे। बसपा छत्तीसगढ़ चुनाव में दो सीटें जीतने में सफल रही थी। राज्य में सरकार बनाने के बाद कांग्रेस ने बस्तर और सरगुजा सभी इलाकों में एक भी उपचुनाव नहीं हारा।
भूपेश बघेल की सरकार बनने के बाद से सभी उपचुनावों में कांग्रेस ने धमक बनाए रखी। 2018 के बाद से कांग्रेस एक भी उपचुनाव नहीं हारी। उसने यह रिकार्ड 2022 में भानुप्रतापपुर उपचुनाव में भी बरकरार रखा। प्रेक्षकों की राय में पिछली दफा कांग्रेस को ज्यादातर बीजेपी का एंटी स्टेब्लिशमेंट वोट मिला था। इस बार कांग्रेस अपनी सत्ता के कामकाज को ले कर वोटर के पास जाएगी।