2014 और 2019 के बाद तीसरी बार सत्ता की हैट्रिक लगाने की उम्मीद लिए बीजेपी 2024 के रण में उतरी। वहीं मोदी सरकार के अबकी बार 400 पार के नारे को हकीकत बनने से रोकने के लिए कांग्रेस के साथ क्षेत्रीय दलों ने इंडिया ब्लॉक बनाकर चुनाव लड़ने का फैसला किया। सात चरणों में हुए चुनाव में मंगलसूत्र, आरक्षण, संविधान, पाकिस्तान ट्रेंडिग मुद्दा रहा। सभी के अपने अपने दावे रहे। 1 जून को वोटिंग के समापन के बाद आए अधिकांश एग्जिट पोल एनडीए की जीत की भविष्यवाणी करते नजर आए और कईयों ने तो 400 पार के आंकड़े को भी आसानी से पार कराने से कोई गुरेज नहीं किया। लेकिन 4 जून को आए रूझानों में 400 के आंकड़े तो दूर बीजेपी के लिए 272 के जादुई आंकड़े को भी खुद के बूते पार कर पाना अभी तक संभव नहीं हो पाया है। इसके इतर इंडिया गठबंधन भारत के तीन बड़े और राजनीतिक रूप से प्रभावशाली राज्यों उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में आगे रहा। लोकसभा में इन तीन राज्यों में कुल 170 सीटें आती हैं। जो कि पूरा राजनीतिक परिदृश्य बदलने की क्षमता रखते हैं।
उत्तर प्रदेश : वैसे तो कहा जाता है कि देश के प्रधानमंत्री का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर जाता है। लेकिन ये सिर्फ बातें नहीं बल्कि इसमें सच्चाई भी नजर आती है। 2014 के चुनाव में बीजेपी गठबंधन को उत्तर प्रदेश से 73 सीटें मिली और एनडीए का आंकड़ा बहुमत के आंकड़ों को आसानी से पार गया। वहीं 2019 में भी प्रदेश के दो क्षेत्रीय दलों बसपा और सपा के साथ आने के बावजूद बीजेपी ने 64 सीटें जीतने में सफलता हासिल की और उसका आंकड़ा 300 को पार गया। लेकिन 2024 में बीजेपी और बहुमत के आंकड़े के बीच 80 सीटों वाला उत्तर प्रदेश आकर खड़ा हो गया। कांग्रेस और सपा के गठजोड़ ने बीजेपी गठबंधन को ऐसी चुनौती दी जिसकी उसे कतई उम्मीद नहीं थी। समाजवादी पार्टी तो अकेले 35 सीटों पर आगे चल रही है वहीं कांग्रेस भी अपने दो बार के प्रदर्शन में बेहतरीन सुधार करती नजर आ रही है। नतीजतन यूपी से बीजेपी की सीटें इस बार आधी से ज्यादा कम हो जा रही है। जिसका की कुल आंकड़ों पर सीधा असर पड़ा है।
पश्चिम बंगाल : पश्चिम बंगाल में ममत बनर्जी ने कांग्रेस को 2 सीटों के लायक बताते हुए पहले ही गठबंधन करने से प्रदेश में इनकार कर दिया था। वो चुनाव में एकला चलो रे की राह अपनाते हुए सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। वहीं कांग्रेस और लेफ्ट गठबंधन के जरिए चुनावी मैदान में थी। लेकिन बीजेपी को अगर इस चुनाव में किसी राज्य से सबसे ज्यादा उम्मीदें थी तो बंगाल उसमें पहले नंबर पर था। गृह मंत्री अमित शाह भी लगातार बंगाल को लेकर दावे करते नजर आ रहे थे कि पार्टी राज्य में चौंकाने वाला प्रदर्शन कर सकती है और उसका आंकड़ा 30 प्लस हो सकता है। लेकिन बंगाल में बीजेपी और प्रचंड जीत के बीच दीदी आकर ऐसी खड़ी हो गई कि उसने 2019 के प्रदर्शन को भी दोहराने से रोक दिया।
महाराष्ट्र : ऐसा लगता है कि महाराष्ट्र ने राज्य में महायुति की ‘जोड़ तोड़’ की राजनीति को बुरी तरह नकार दिया है। शिवसेना (यूबीटी), शरद पवार की राकांपा और कांग्रेस वाला इंडिया ब्लॉक 48 लोकसभा सीटों में से 29 पर आगे चल रहा है। लोकसभा चुनाव के लिए वोटों की गिनती के छह घंटे बाद टीम ठाकरे महाराष्ट्र की 11 सीटों पर और पवार की राकांपा 5 सीटों पर आगे चल रही है। उनके अलग हुए गुट एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजीत पवार की राकांपा 5 और 1 सीटों पर आगे चल रहे हैं। कुल मिलाकर दोपहर 2 बजे तक इंडिया 29 सीटों पर और बीजेपी 18 सीटों पर आगे है। महाराष्ट्र उन राज्यों में से है जहां एनडीए को 2019 की तुलना में बड़ी सेंध लगी है। किसी अन्य राज्य में दो चुनावों के बीच राजनीतिक परिदृश्य इस प्रमुख राज्य की तरह नहीं बदला है। 2019 में बीजेपी और शिवसेना गठबंधन में थे। दोनों ने मिलकर 48 में से 41 सीटें जीतीं। राकांपा ने चार सीटें जीतीं और कांग्रेस को एक सीट मिली।