लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हुए पांच राज्यों में से चार राज्यों के चुनाव परिणाम कल आ जाएंगे। जबकि मिजोरम में चार दिसम्बर को मतगणना होगी। राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में इस बार कड़ा मुकाबला है। स्पष्ट जनादेश न मिलने की स्थिति में पार्टियां अभी से जोड़-तोड़ में जुट गयी हैं। यह चुनाव लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल भी है। चारों राज्यों में मतगणना रविवार को सुबह 8 बजे शुरू होगी।
अलवत्ता 2018 में भी भाजपा राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ चुनाव हार गयी थी, फिर भी इन तीनों राज्यों में लोकसभा चुनाव में भाजपा को भारी समर्थन मिला था। विधानसभा चुनावों का लोकसभा चुनाव पर ज्यादा असर नहीं पड़ता फिर भी चुनावी पंडित इन चुनावों को सेमीफाइनल मान रहे हैं। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है जबकि मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार है। तेलंगाना में बीआरएस सत्ता में हैं। एक्जिट पोल में सत्ता परिवर्तन के संकेत मिलते हैं, फिर भी सभी दल अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं। किसके सिर पर ताज सजेगा, यह कल दोपहर तक स्पष्ट हो जाएगा।
राजस्थान : राजस्थान में सबकी नजर इस बात पर लगी है कि राज बदलेगा या रिवाज। राजस्थान में में भाजपा ने इस बार 7 सांसदों को चुनाव मैदान में उतारा है लेकिन किसी को मुख्यमंत्री पद का दावेदार नहीं बनाया। टिकट न मिलने वाले नेताओं ने पार्टी की नाक में दम रख रखा था। पार्टी के वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री पद का दावेदार न बनाकर अपने लिए मुश्किल खड़ी की है। दूसरी तरफ कांग्रेस की तरफ से अशोक गहलोत के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ा गया और गहलोत और सचिन पायलट के बीच में शांति विराम कराकर पार्टी ने मतदाताओं के मन से भ्रम दूर करने की कोशिश की लेकिन गहलोत के खिलाफ सत्ता विरोधी माहौल था।
मध्यप्रदेश : मध्यप्रदेश में भी भाजपा ने शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित नहीं किया और तीन केंद्रीय मंत्रियों को चुनाव मैदान में उतार दिया है। मध्यप्रदेश में 2018 के चुनावों के बाद कमलनाथ के नेतृत्व में करीब 15 महीनों तक रही कांग्रेस सरकार के कार्यकाल को छोड़ दें तो शिवराज 2005 से ही सत्ता पर काबिज हैं। केंद्रीय मंत्रियों नरेंद्रंिसह तोमर, फग्गनंिसह कुलस्ते और पल्र्हाद सिंह पटेल समेत सात सांसद चुनाव मैदान में उतारे हैं। उनका भी भविष्य दांव पर है। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्यंिसधिया के लिए भी बहुत कुछ दांव पर है, क्योंकि नतीजे भाजपा में शामिल होने के बाद उनकी राजनीतिक स्थिति को प्रतिंिबबित करेंगे। भाजपा को इस क्षेत्र में 2018 के चुनावों में गंभीर उलटफेर का सामना करना पड़ा था ऐसे में वह कांग्रेस की बाजी पलटने की कोशिश कर रही है।ंिसधिया उस वक्त कांग्रेस में थे।
छत्तीसगढ़ : एक्जिट पोल में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और भाजपा के बीच बराबरी की टक्टर दिखायी गयी है। भाजपा की 15 साल के कार्यकाल के बाद कांग्रेस ने सत्ता हासिल की थी। इस बार भाजपा की कोशिश है कि फिर से राज्य की सत्ता हासिल की जाए। राज्य में कांग्रेस सत्ता में वापसी करने का दावा कर रही है। पार्टी को विास है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में पार्टी ने किसान, आदिवासी और गरीबों के लिए काम किया है, जिसके दम पर एक बार फिर यहां कांग्रेस की सरकार बनेगी। राज्य विधानसभा के 90 सीटों के लिए सात और 17 नवंबर को दो चरणों में मतदान हुआ था। जिसमें राज्य के 76.31 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है। यह 2018 के विधानसभा चुनाव में दर्ज 76.88 प्रतिशत मतदान से कुछ कम है।
तेलंगाना : तेलंगाना में कांग्रेस और बीआरएस की बीच में सीधा मुकाबला है। चंद्रशेखर राव की लोकप्रियता आज भी हावी है। फिर भी कुछ एक्जिट पोल कांग्रेस की सरकार बनते हुए दिखा रहे हैं। इस बार राज्य में भाजपा की सीटें बढ़ेंगी। एआईएमआईएम का भी हैदराबाद क्षेत्र में अपना प्रभुत्व है।