
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों को निकालने के लिए क्षैतिज पाइप 42 मीटर तक डाला गया जिससे फंसे हुए 41 लोगों के जल्द बाहर निकलने की उम्मीद जगी है। यह मजदूरों तक पहुंचने के लिए दूरी का 67 प्रतिशत हिस्सा है। एक अन्य पाइप के जरिये रोटी, सब्जी, खिचड़ी, दलिया, संतरे और केले जैसे खाद्य पदाथरें की पर्याप्त आपूर्ति की जा रही है। इसके अलावा दवाओं और टी-शर्ट, अंतर्वस्त्र तथा टूथपेस्ट, साबुन जैसी अन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति भी सुनिश्चित की जा रही है।
आधिकारिक बयान में कहा गया है कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ)/राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) द्वारा ‘वायर’ संपर्क के जरिए एक संशोधित संचार पण्राली विकसित की गई। बयान में कहा गया है, ‘एनएचआईडीसीएल ने ऑगर बोरिंग मशीन का इस्तेमाल करके श्रमिकों को बचाने के लिए सिलक्यारा से क्षैतिज बोरिंग फिर से शुरू कर दी है।’ सिलक्यारा से ढहे हिस्से के मलबे के बीच बोरिंग के काम को शुक्रवार दोपहर को रोक दिया गया था जब अमेरिकी निर्मित ऑगर मशीन को लगभग 22 मीटर के बाद बाधा का सामना करना पड़ा था। क्षैतिज ‘ड्रिल’ करने का अभियान मंगलवार को फिर शुरू किया गया था। उत्तरकाशी जिले में चारधाम यात्रा मार्ग पर निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा 12 नवम्बर को ढह गया था जिससे मलबे के दूसरी ओर श्रमिक फंस गए थे, जिन्हें निकालने के लिए युद्धस्तर पर बचाव अभियान चलाया जा रहा है।

