प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत का विरोध किया। सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर एक हलफनामे में जांच एजेंसी ने कहा कि चुनाव प्रचार का अधिकार मौलिक नहीं है। दिल्ली शराब नीति मामले में अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने से एक दिन पहले आज ईडी की उप निदेशक भानु प्रिया ने हलफनामा दायर किया। ईडी ने अपने हलफनामे में कहा कि चुनाव प्रचार का अधिकार कोई मौलिक, संवैधानिक या कानूनी अधिकार नहीं है। ईडी की जानकारी में किसी भी राजनीतिक नेता को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत नहीं दी गई है, भले ही वह चुनाव लड़ने वाला उम्मीदवार न हो।
केंद्रीय जांच एजेंसी ने यह भी दलील दी कि अगर किसी राजनेता को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी जाती है तो उसे गिरफ्तार नहीं किया जा सकता और न्यायिक हिरासत में नहीं रखा जा सकता। ईडी ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में लगभग 123 चुनाव हुए हैं और अगर चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी जाती है तो किसी भी राजनेता को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है और न्यायिक हिरासत में नहीं रखा जा सकता है क्योंकि चुनाव पूरे साल होते हैं। इसमें कहा गया है, आम चुनाव में प्रचार के लिए अंतरिम जमानत देने में केजरीवाल के पक्ष में कोई भी विशेष रियायत कानून के शासन और समानता के लिए अभिशाप होगी।
ईडी ने आगे कहा कि सभी बेईमान राजनेताओं को चुनाव की आड़ में अपराध करने और जांच से बचने की अनुमति दी जाएगी। इसमें यह भी कहा गया कि अरविंद केजरीवाल या कोई अन्य राजनेता सामान्य नागरिक से अधिक विशेष दर्जे का दावा नहीं कर सकते। यह देश में दो अलग-अलग वर्ग बनाएगा, यानी आम लोग जो कानून के शासन के साथ-साथ देश के कानूनों से बंधे हैं और राजनेता जो चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत हासिल करने की उम्मीद के साथ कानूनों से छूट मांग सकते हैं।