crossorigin="anonymous"> करोड़ों शिवभक्त हरिद्वार से गंगाजल भरकर अपने-अपने गंतव्य रवाना - Sanchar Times

करोड़ों शिवभक्त हरिद्वार से गंगाजल भरकर अपने-अपने गंतव्य रवाना

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हर की पौड़ी से कांवड़ उठाकर शिवभक्त श्री गौरव चौधरी, श्री भूपेंद्र तोमर, श्री अश्विनी तोमर अपने इलाके के शिवालय में पहुंच शिवलिंग पर अर्पित करेंगे गंगा जल

संचारटाइम्स.न्यूज़। सावन शुरू होते ही कांवड़ यात्रा भी विधिवत रूप से शुरू हो गई है। उत्तराखंड के हरिद्वार में अलग-अलग राज्यों से श्रद्धालु गंगाजल लेने पहुंच रहे हैं। हरिद्वार में दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों से श्रद्धालु पवित्र जल लेने हरिद्वार आ रहे हैं और यहां से गंगाजल भरकर अपने-अपने गंतव्य को रवाना हो रहे हैं। वहीं हर की पौड़ी से कांवड़ उठाकर शिवभक्त श्री गौरव चौधरी, श्री भूपेंद्र तोमर, श्री अश्विनी तोमर जिला बागपत तहसील बडौत, ग्राम लोयन मलकपुर के लिए कलश में गंगा जल भर उसे अपने कंधे पर लटका कर अपने इलाके के शिवालय में पहुंच शिवलिंग पर अर्पित करेंगे।


शिवभक्त कांवडिए सैकड़ों किलोमीटर की पैदल यात्रा कर गंगाजल ले जाकर भगवान शिव का अभिषेक करते हैं. हरिद्वार में दूसरे प्रदेशों से आने वाले शिवभक्त अपने कंधों पर 11, 21, 31, 51 लीटर या उससे अधिक गंगाजल लेकर जा रहे हैं। हरिद्वार में मां गंगा का सबसे अधिक महत्व बताया गया है, इसलिए हर साल उत्तर भारत के करोड़ों शिवभक्त हरिद्वार से गंगाजल भरकर अपने-अपने गंतव्य को जाते हैं।


कांवड़ यात्रा 22 जुलाई से शुरू हो चुकी है। सावन के महीने अथवा श्रावण मास में भोलेनाथ के भक्त गंगा तट पर जाते हैं। वहां स्नान करने के बाद कलश में गंगा जल भरते हैं, फिर कांवड़ पर उसे बांध कर और अपने कंधे पर लटका कर अपने-अपने इलाके के शिवालय में लाते हैं और शिवलिंग पर अर्पित करते हैं। श्रावण के पूरे महीने कांवड़िए महादेव को प्रसन्न करने के लिए मीलों पैदल चलकर यात्रा करते हैं। कांवड़ में गंगा नदी से जल भरकर लाते हैं और सावन शिवरात्रि पर उस जल से अभिषेक करते हैं। आपने देखा होगा कांवड़ यात्रा में ‘बोल बम-बम भोले का नारा’ चारों और गूंजता है।
बोल बम में बम शब्द ब्रह्मा, विष्णु, महेश एवं ओमकार का प्रतीक माना गया है। बोलबम को सिद्ध मंत्र माना जाता है। इसे बोलने से श्रद्धालु के शरीर में एक नई ऊर्जा का संचार होता है, जो भक्तों को शक्ति प्रदान करता है। कहते हैं कि जब हनुमान जी को शक्ति की आवश्यकता होती थी तो वो राम नाम का जाप करते थे उसी तरह कांवड़िए थका हुआ महसूस करते हैं या फिर दूसरे कांवड़ियों में जोश भरना होता है तो वह बोल बम का जयकारा लगाते हैं।


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