crossorigin="anonymous"> महाकुंभ में 65 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने लिया पवित्र त्रिवेणी में स्नान, महाशिवरात्रि के दिन हुआ समापन - Sanchar Times

महाकुंभ में 65 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने लिया पवित्र त्रिवेणी में स्नान, महाशिवरात्रि के दिन हुआ समापन

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ST.News Desk : महाकुंभ 2025, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक जमावड़ा माना जाता है, आज महाशिवरात्रि के पवित्र स्नान के साथ अपनी पूर्णाहुति की ओर अग्रसर हो गया। 45 दिन पहले 13 जनवरी (पौष पूर्णिमा) को शुरू हुआ यह आयोजन, अब तक 65 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित कर चुका है। इस ऐतिहासिक मेले में पवित्र गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई और पुण्य लाभ प्राप्त किया।

महाकुंभ का आयोजन हर 12 वर्ष में एक बार होता है और इस बार प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ ने एक नया इतिहास रचा है। इस विशाल धार्मिक उत्सव में रिकॉर्ड तोड़ 65 करोड़ से अधिक तीर्थयात्री शामिल हुए। इन 45 दिनों में तीन प्रमुख अमृत स्नान – मकर संक्रांति (14 जनवरी), मौनी अमावस्या (29 जनवरी) और बसंत पंचमी (3 फरवरी) – बड़े धूमधाम से सम्पन्न हुए। महाकुंभ में श्रद्धालुओं ने 13 अखाड़ों के साथ मिलकर अमृत स्नान किया और महापर्व की समाप्ति पर 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन पवित्र स्नान का आयोजन किया।

महाकुंभ में हर बार श्रद्धालुओं पर गुलाब की पंखुड़ियों की वर्षा की गई, जिसमें कुल 120 क्विंटल पंखुड़ियाँ प्रयोग में लाई गईं। स्नानार्थियों पर यह पुष्प वर्षा कुंभ की भव्यता और समृद्धि को दर्शाती है। इस आयोजन में ‘मोनालिसा’ और ‘आईआईटी बाबा’ जैसे चेहरों ने सुर्खियां भी बटोरीं।

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन से अमृत कलश निकला और उसकी बूंदें जहां-जहां गिरीं, वहां कुंभ मेले का आयोजन होता है। महाकुंभ के इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, “महाकुंभ 2025, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन में आयोजित मानवता का ‘महायज्ञ’ है, जो आस्था, एकता और समता का महापर्व है।”

उन्होंने यह भी कहा कि महाकुंभ के आयोजन में प्रयागराजवासियों की भूमिका अतुलनीय रही है, जिनके आतिथ्य सत्कार और धैर्य ने इस आयोजन को विशेष बना दिया। मुख्यमंत्री ने महाकुंभ के सुव्यवस्थित आयोजन में शामिल सभी प्रशासनिक, धार्मिक, और सामाजिक संस्थाओं का धन्यवाद किया।

महाकुंभ के इस विशाल आयोजन ने न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया को एकता, समरसता और धार्मिक सौहार्द का संदेश दिया।


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