
ST.News Desk, News Delhi : गोंडा के नियमित दौरे पर पहुंचे उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि वे जहाँ भी जाते हैं, वहाँ पार्टी कार्यकर्ताओं और संगठनात्मक पदाधिकारियों से ज़रूर मिलते हैं, ताकि पार्टी की जमीनी समस्याओं, चुनौतियों और मुद्दों को बेहतर ढंग से समझा जा सके। मौर्य के इस बयान को अब उनके प्रदेश पार्टी अध्यक्ष पद पर संभावित पदोन्नति के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।

उत्तर प्रदेश बीजेपी में नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति लंबे समय से लंबित है, और अब पार्टी के भीतर यह चर्चा तेज़ हो गई है कि यह नियुक्ति नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के कार्यभार संभालने के बाद ही की जाएगी।
केशव मौर्य के लिए संगठन कोई नई ज़िम्मेदारी नहीं है। वे पहले भी उत्तर प्रदेश में पार्टी के उपाध्यक्ष और अध्यक्ष रह चुके हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में, उन्हीं के नेतृत्व में बीजेपी ने प्रदेश में ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। उस समय वे प्रदेश अध्यक्ष थे और पार्टी ने उनकी संगठनात्मक क्षमता और ओबीसी समुदाय में उनकी लोकप्रियता का भरपूर लाभ उठाया। हालांकि, उस चुनाव के बाद भी उन्हें मुख्यमंत्री न बनाकर उप-मुख्यमंत्री पद सौंपा गया।
2022 के चुनाव में वे अपनी पारंपरिक सीट सिराथू से हार गए, लेकिन इसके बावजूद पार्टी नेतृत्व ने उन पर भरोसा कायम रखा और उन्हें पुनः उप-मुख्यमंत्री बनाया गया। विपक्ष के नेता अखिलेश यादव ने उनकी इस हार पर बार-बार कटाक्ष किया, लेकिन मौर्य ने संगठन में सक्रिय भूमिका निभानी जारी रखी।
2024 के आम चुनाव में यूपी में बीजेपी को अपेक्षित सफलता नहीं मिली और पार्टी को 29 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। इस पर मौर्य ने कहा कि वे आम कार्यकर्ता के दर्द को समझते हैं, जो पार्टी नेतृत्व से दूर रहकर काम करता है।
इन बयानों और हालिया सक्रियता को देखते हुए पार्टी के भीतर चर्चा है कि मौर्य एक बार फिर प्रदेश अध्यक्ष की ज़िम्मेदारी संभाल सकते हैं। उनकी संगठनात्मक दक्षता, पिछड़े वर्ग में प्रभाव और पार्टी के प्रति समर्पण को देखते हुए वे इस पद के लिए एक मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं।
