भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक 2023 पर लोकसभा में चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि 200 साल पुराने कानूनों में बदलाव किया गया। शास्त्रों में न्याय को दंड से ऊपर रखा गया। तीनों कानून अंग्रेजों के जमाने के थे। चर्चा के जवाब में गृह मंत्री ने कहा कि जो नए तीन कानून लेकर आया हूं, वो मूल भारतीय न्याय की संहिता की आत्मा को प्रकटीकरण देने वाले कानून हैं।
अमित शाह ने कहा कि अब शिकायत करने पर 3 दिन या अधिकतम 14 दिनों के अंदर एफआईआर दर्ज करनी होगी। 3 से 7 साल तक की सजा के मामलों में 14 दिनों के अंदर प्रारंभिक जांच पूरी करनी होगी। यानि अधिकतम 14 दिन या छोटी सजा के मामलों में 3 दिन में एफआईआर दर्ज करनी होगी। जो कानून रिपील करने जा रहे हैं उसमें सरकारी खजाना लूटने, रेल पटरी उखाड़ने और ब्रिटिश ताज के अपमान की सजा पहले रखे गए थे। अब महिला/बच्चों के खिलाफ अपराध को, मानव शरीर पर प्रभाव डालने और देश की सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है। फिर सेना, चुनाव और करेंसी संबंधी कानून हैं। जो इंडियन पीनल कोड, 1860 में बना उसका उद्देश्य दंड देना था, न्याय देना नहीं। इस सदन की मान्यता के बाद पूरे देश में ‘भारतीय न्याय संहिता’, सीआरपीसी 1998 की जगह ‘भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता’ और इंडियन एविडेंस एक्ट1872 की जगह भारतीय साक्ष्य विधेयक अमल में आएगी।
बता दें कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने तीनों विधेयकों को चर्चा एवं पारित करने के लिए सदन में रखा था। शाह ने संसद की स्थायी समिति की ओर से सुझाए गए संशोधनों के मद्देनजर गत 12 दिसंबर को पूर्ववर्ती तीन विधेयकों को वापस ले लिया था और इनकी जगह उपरोक्त नए विधेयक पेश किए थे।