प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी डीपफेक तकनीक के शिकार हुए हैं। यहां पार्टी मुख्यालय में भाजपा के दिवाली मिलन कार्यक्रम में पत्रकारों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने गरबा महोत्सव में गाते हुए अपना एक वीडियो देखा, जबकि उन्होंने स्कूल के दिनों से ऐसा नहीं किया है। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा मीडिया को इस बारे में जागरूकता फैलानी चाहिए।
मिलन समारोह में प्रधानमंत्री मोदी मीडिया से रू-ब-रू हुए। उन्होंने मीडिया से अनेक मुद्दों पर सहयोग मांगा। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस यानि कृत्रिम मेधा की चुनौतियों पर उन्होंने लम्बी चर्चा की। उन्होंने आजक ल तकनीक की इस चुनौती से निपटने के लिए मीडिया को आगे आना पड़ेगा। उन्होंने कहा कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर मेरा गरबा करते हुए वीडियो वायरल हो रहा है। यह वीडियो मेरा नहीं है। ये डीपफेक है। उन्होंने मजाकिया लहजे में कहा, यहां तक कि जो लोग उन्हें प्यार करते हैं, वे भी वीडियो को एक दूसरे से साझा कर रहे हैं। उन्होंने कहा, हमारे जैसे विविधतापूर्ण समाज में डीपफेक एक बड़ा संकट पैदा कर सकते हैं और यहां तक कि समाज में असंतोष की आग भी भड़का सकते हैं क्योंकि लोग मीडिया से जुड़ी किसी भी चीज पर उसी तरह भरोसा करते हैं जैसे आमतौर पर गेरुआ वस्त्र पहने व्यक्ति को सम्मान देते हैं। डीपफेक का मतलब आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मदद से किसी व्यक्ति का किसी भी तरह का वीडियो या फोटो बनाया जा सकता है। प्रधानमंत्री ने इसके दुरुपयोग और प्रभाव के बारे में जागरूकता फैलाने का आग्रह किया।
ग्लोबल त्योहार बन गया है छठ : देश के विभिन्न हिस्सों में लोगों, खासकर बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोगों के ‘छठ’ मनाने के बीच उन्होंने कहा कि अच्छी बात है कि यह पर्व अब देश के विभिन्न हिस्सों में मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के उदय ने दुर्गा पूजा और नवरात्रि जैसे त्योहारों को वैिक होते देखा है।
पत्रकारों के लिए रूटीन मेडिकल जांच की व्यवस्था हो : प्रधानमंत्री ने कम उम्र में पत्रकारों की मौत पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि मीडिया विभाग से कहा कि ऐसी व्यवस्था बनाये कि मीडिया वालों की स्वास्थ्य की जांच की जा सके, क्योंकि रिपोर्टरों को खबर के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है।