श्रीमती स्मिता अग्रवाल का यह लेख उद्योग के प्रति गहरे ज्ञान और उत्तर प्रदेश के विकास के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है
प्रदीप कुमार सिंह
लखनऊ ब्यूरो (sanchartimes.news)
सीआईआई उत्तर प्रदेश राज्य परिषद की अध्यक्ष, श्रीमती स्मिता अग्रवाल, उद्योग जगत में एक प्रतिष्ठित नाम हैं। उन्होंने अपने नेतृत्व और दृष्टिकोण से उत्तर प्रदेश में स्टार्टअप्स और उद्यमिता के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण योगदान दिए हैं। साथ ही, पीटीसी इंडस्ट्रीज लिमिटेड में निदेशक और सीएफ़ओ के रूप में भी उनका मार्गदर्शन महत्वपूर्ण रहा है, जहां उन्होंने कंपनी की वित्तीय नीतियों और रणनीतिक दिशा को सफलतापूर्वक आकार दिया है।
श्रीमती स्मिता अग्रवाल
अध्यक्ष – सीआईआई उत्तर प्रदेश राज्य परिषद
निदेशक एवं सीएफओ – पीटीसी इंडस्ट्रीज लिमिटेड
पिछले कुछ वर्षों में, स्टार्टअप इंडिया पहल ने नए उद्यमियों के लिए एक आशा और अवसर की किरण प्रस्तुत की है। इस पहल ने नवाचार, रोजगार सृजन और उद्यमशीलता के परिदृश्य को बदलने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उत्तर प्रदेश, जो इस पहल से सबसे अधिक लाभान्वित हुआ है, इस बात का उदाहरण प्रस्तुत करता है कि किस प्रकार कुशल नीतियों का क्रियान्वयन क्षेत्रीय विकास और बदलाव को गति प्रदान कर सकता है।
आर्थिक प्रगति और स्टार्टअप्स की सफलता
उत्तर प्रदेश, भारत का सबसे अधिक आबादी वाला राज्य, पारंपरिक रूप से कृषि और औद्योगिकी का केंद्र रहा है। हालांकि, राज्य को पहले बेरोज़गारी, सीमित औद्योगिक विविधता और ग्रामीण-शहरी असमानताओं की समस्या का सामना करना पड़ा था। लेकिन हाल के वर्षों में राज्य की नीति बदलावों ने उसे एक नई दिशा दी है। वर्तमान में उत्तर प्रदेश भारत की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुकी है और यह 7% की वार्षिक वृद्धि दर से आगे बढ़ रहा है।
स्टार्टअप नीति 2020 का प्रभाव
उत्तर प्रदेश सरकार ने अपनी पहली स्टार्टअप नीति “आईटी और स्टार्टअप नीति 2016” की घोषणा की थी, जिसे बाद में “आईटी और स्टार्टअप नीति 2017” के रूप में संशोधित किया गया। 2020 में फिर से एक नई स्टार्टअप नीति लागू की गई, जिसे 2022 में और संशोधित किया गया। इस नीति का मुख्य उद्देश्य राज्य में उद्यमिता और नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देना था। नई नीति में स्कूलों में टिंकरिंग लैब्स, कॉलेजों में ई-सेल्स और उच्च शिक्षा संस्थानों में इनक्यूबेटर्स की स्थापना जैसे उपाय शामिल किए गए हैं।
नवाचार, प्रोत्साहन और सरकारी योजनाएं
उत्तर प्रदेश सरकार ने विभिन्न प्रकार की वित्तीय सहायता और प्रोत्साहनों की पेशकश की है, जैसे पूंजी अनुदान, प्रोटोटाइप अनुदान, पेटेंट दाखिल करने के लिए सहायता, और भरण-पोषण भत्ते। इन योजनाओं से न केवल राज्य में स्टार्टअप्स को बढ़ावा मिला है, बल्कि राज्य का स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र और भी समृद्ध हुआ है।
मुख्य आंकड़े
उत्तर प्रदेश में स्टार्टअप्स ने 1 लाख से अधिक रोजगार सृजित किए हैं।
राज्य सरकार ने 206 स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन देने के लिए 5.50 करोड़ रुपये वितरित किए हैं।
राज्य के 23 जिलों में 63 इन्क्यूबेटरों को मान्यता दी गई है।
उत्तर प्रदेश ने ए.आई, एम.एल, ड्रोन और मेडटेक के क्षेत्र में 3 केंद्र स्थापित किए हैं, और 5जी और 6जी के लिए 4 और केंद्र जल्द स्थापित किए जाएंगे।
सी.आई.आई का योगदान
भारतीय उद्योग परिसंघ (सी.आई.आई) भी उत्तर प्रदेश के स्टार्टअप इकोसिस्टम को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभा रहा है। सी.आई.आई ने विभिन्न सम्मेलनों और शिखर सम्मेलनों के माध्यम से स्टार्टअप्स को निवेशकों और अन्य हितधारकों से जोड़ने का काम किया है। इन कार्यक्रमों में कृषि, स्वास्थ्य, रेल, और फार्मा क्षेत्रों के स्टार्टअप्स ने सक्रिय रूप से भाग लिया है।
निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश का स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र अब एक प्रेरणास्त्रोत बन चुका है। समग्र सरकारी नीतियों और प्रोत्साहनों के साथ, राज्य 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। आने वाले वर्षों में उत्तर प्रदेश का स्टार्टअप इकोसिस्टम इस उद्देश्य को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।