
केंद्र ने बदलाव को ऐतिहासिक बताया, मगर श्रमिक अब भी असमंजस में; 29 पुराने कानूनों की जगह लागू हो रहे 4 नए लेबर कोड सैलरी संरचना बदल देंगे
ST.News Desk : New Labour Code 2025 पर केंद्र सरकार इसे “ऐतिहासिक सुधार” बता रही है, लेकिन ज़मीन पर इसका असर क्या है, यह अब भी श्रमिकों के लिए स्पष्ट नहीं है। मजदूर और कर्मचारी नए नियमों को लेकर उलझन में हैं। कई लोगों का कहना है कि यह बदलाव अभी भी “100 लोगों की 100 बातें” जैसा लग रहा है—यानी कोई भी पूरी तरह नहीं समझ पा रहा कि इनका सीधा असर जीवन और आय पर कैसा पड़ेगा।

सरकार द्वारा लागू किए जा रहे 4 नए लेबर कोड, 29 पुराने श्रम कानूनों की जगह ले रहे हैं। इनके मुख्य प्रभाव वेतन (Wages) की परिभाषा, EPF योगदान, ग्रेच्युटी लाभ और टेक-होम सैलरी पर दिखेंगे।
नए नियमों में वेतन (Basic Wages) का हिस्सा बढ़ाने पर विशेष जोर है। इसका मतलब है कि जितना बेसिक वेतन बढ़ेगा, EPF कटौती भी उतनी ही बढ़ेगी। ऐसे हालात में कर्मचारियों का CTC भले ही पहले जैसा रहे, लेकिन EPF अधिक कटने से टेक-होम सैलरी कम हो सकती है।
कई कर्मचारी इसे लंबे समय के लाभ—जैसे अधिक PF और रिटायरमेंट सुरक्षा—के रूप में देखते हैं, जबकि कुछ के लिए यह तत्काल हाथ में आने वाली आय में कमी के रूप में चिंता पैदा कर रहा है।
4 नए लेबर कोड और उनके उद्देश्य
वेतन संहिता, 2019
वेतन की स्वीकृति परिभाषा, श्रमिकों के लिए समय पर भुगतान और वेतन से जुड़े विवादों का समाधान।
औद्योगिक संबंध संहिता, 2020
कर्मचारियों–नियोक्ता संबंधों को सुगम बनाना, हड़ताल/छंटनी जैसे प्रक्रियाओं को स्पष्ट करना।
सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020
EPF, ESI, ग्रेच्युटी, मातृत्व लाभ समेत सभी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को एक ढाँचे में लाना।
व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य शर्त संहिता, 2020
कार्यस्थल की सुरक्षा, स्वास्थ्य और कर्मचारियों की कार्य-शर्तों को आधुनिक मानकों के अनुसार सुधारना।

