
कार्यक्रम में भाग लेने वाले प्रमुख अतिथियों में हरिवंश चावला, डॉ. शशिबाला, श्री नीरज पाठक, श्री पंकज साहाय और आचार्य वेणुमोहन जैसे विचारशील और प्रेरणादायी व्यक्तित्व शामिल थे।
कार्यक्रम का आयोजन डॉ अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर, जनपथ नई दिल्ली में किया गया।
संचार टाइम्स न्यूज

नई दिल्ली, 29 सितम्बर 2025: भारतीय संविधान की 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा को समर्पित एक विशेष राष्ट्रीय उत्सव का आयोजन राजधानी नई दिल्ली में किया गया। इस ऐतिहासिक आयोजन की परिकल्पना प्रसिद्ध सांस्कृतिक संस्था “द मिशन” ने की, जिसे भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय का सहयोग प्राप्त हुआ। उत्सव का नाम – “हमारा संविधान – हमारा स्वाभिमान” – अपने आप में संविधान के प्रति राष्ट्र की निष्ठा और गौरव का प्रतीक रहा।
इस समारोह में संविधान के मूल्यों और आदर्शों को जन-जन तक पहुँचाने के उद्देश्य से अनेक सांस्कृतिक और बौद्धिक गतिविधियाँ आयोजित की गईं। इनमें भव्य फिल्म शो, संगोष्ठियाँ, सांस्कृतिक पोस्टर-पेंटिंग प्रदर्शनी, संगीत, नृत्य और नाट्य प्रस्तुतियाँ प्रमुख रहीं। प्रत्येक प्रस्तुति भारतीय लोकतंत्र की जीवंतता और संविधान की गरिमा का प्रतीक बनी।
उत्सव का विशेष आकर्षण रहा – संविधान रत्न सम्मान समारोह, जिसमें समाज के विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट योगदान देने वाले व्यक्तियों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर श्री अतुल जैन, अधिवक्ता, सर्वोच्च न्यायालय को ‘न्याय रत्न विभूषण’ से अलंकृत किया गया। उन्हें यह सम्मान न्याय एवं विधि के क्षेत्र में उनके दीर्घकालीन, निष्पक्ष और समर्पित योगदान के लिए प्रदान किया गया।
कार्यक्रम में भाग लेने वाले प्रमुख अतिथियों में हरिवंश चावला, डॉ. शशिबाला, श्री नीरज पाठक, श्री पंकज साहाय और आचार्य वेणुमोहन जैसे विचारशील और प्रेरणादायी व्यक्तित्व शामिल थे। सभी ने संविधान की भावना को समझाने और समाज में इसके प्रचार-प्रसार की आवश्यकता पर बल दिया।
इस आयोजन ने भारतीय संविधान के मूल्यों – लोकतंत्र, समानता, न्याय और मानवाधिकारों – को पुनः जनचेतना में स्थापित किया। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भी इस अवसर पर संविधान को राष्ट्र की आत्मा बताते हुए कहा कि यह जनकल्याण और लोकतंत्र का स्तंभ है। उन्होंने इस प्रकार के आयोजनों को देश की युवा पीढ़ी के लिए मार्गदर्शक बताया।
“द मिशन” के अध्यक्ष श्री संजीव शेखर झा ने संयोजक-मंडल की ओर से सभी अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह उत्सव भारत की ज्ञान-आधारित परंपरा और समावेशी दृष्टिकोण का प्रतीक है। यह नई पीढ़ी के लिए एक प्रेरणास्त्रोत है जो भारत को न केवल संवैधानिक राष्ट्र के रूप में, बल्कि मूल्यनिष्ठ आचरण और वैश्विक नेतृत्व के रूप में भी प्रस्तुत करता है।
यह भव्य आयोजन केवल अतीत की स्मृति नहीं, बल्कि भविष्य की दिशा तय करने वाला एक सांस्कृतिक संकल्प बन गया – जिसमें संविधान केवल एक दस्तावेज नहीं, बल्कि राष्ट्र की चेतना के रूप में प्रस्तुत हुआ।
