crossorigin="anonymous"> आज महिलायें साहित्य-संस्कृति में तो आगे हैं ही, उच्च-शिक्षा प्राप्त कर सरकारी तथा गैरसरकारी संस्थानों में उच्च पदों पर भी आसीन हैं : डॉक्टर शैलेंद्र ओझ - Sanchar Times

आज महिलायें साहित्य-संस्कृति में तो आगे हैं ही, उच्च-शिक्षा प्राप्त कर सरकारी तथा गैरसरकारी संस्थानों में उच्च पदों पर भी आसीन हैं : डॉक्टर शैलेंद्र ओझ

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हैदर अली, संचार टाइम्स ब्यूरो रोहतास

वैदिक-काल में भी गार्गी तथा मैत्रेयी जैसी विदुषी रही हैं, जिन्होंने वेदों तथा उपनिषदों में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। इसी तरह मध्यकाल और ब्रिटिश काल में भी महिलाओं का शिक्षा के क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान रहा है। उक्त बातें शिवसागर प्रखंड के शकुंतलम इंस्टिट्यूट ऑफ टीचर्स एजुकेशन की ओर से आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में “साहित्य-संस्कृति में महिला शिक्षा और आधुनिक शैक्षिक दृष्टिकोण” पर बोलते हुए कार्यक्रम के उद्घाटनकर्ता तथा डेहरी नेहरू कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ0 शैलेन्द्र ओझा ने कही। उन्होंने कहा कि आज महिलायें साहित्य-संस्कृति में तो आगे हैं ही,उच्च-शिक्षा प्राप्त कर सरकारी तथा गैरसरकारी संस्थानों में उच्च पदों पर भी आसीन हैं।

सेमिनार में अरुणाचल प्रदेश से आये वक्ता रामगोपाल कुशवाहा ने कहा कि आज एकेडमिक शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा ग्रहण कर महिलायें आर्थिक रूप से निर्भर हो रही हैं। अब ये अपने परिवार पर बोझ नहीं, बल्कि अपने परिवार को आर्थिक रूप से मजबूत भी बनाने में महती भूमिका निभा रही हैं। सेमिनार को सम्बोधित करते हुए पंजाब विश्वविद्यालय से आये आदित्य प्रकाश राव ने कहा कि शिक्षा महिलाओं को अधिक जागरूक, आत्मविश्वासी तथा सशक्त बनाती है।

शिक्षित महिलायें बाल-विवाह जैसी प्रथाओं को समाप्त करने में मदद करती हैं और समाज में समान अधिकारों को बढ़ावा देती है। कार्यक्रम को सफल बनाने में शकुंतलम बीएड कॉलेज के निदेशक डॉ0 अनिल सिंह का योगदान बहुत सराहनीय रहा।


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