
हैदर अली, संचार टाइम्स ब्यूरो रोहतास

सासाराम समाहरणालय के डीआरडीए सभागार में राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर “बढ़ती गलत सूचनाओं के बीच प्रेस की विश्वसनीयता की रक्षा” विषय पर एक महत्वपूर्ण कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए जिला भू-अर्जन पदाधिकारी जफर हसन ने कहा कि पत्रकारिता मानवीय संवेदना का दर्पण है, जिसमें समाज और देश की घटनाएँ प्रतिबिंबित होती हैं। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता केवल एक पेशा नहीं, बल्कि जनसेवा का सशक्त माध्यम है।
जफर हसन ने आगे कहा कि पत्रकारों पर लोकतांत्रिक परंपराओं की रक्षा करने, समाज में शांति एवं सद्भाव बनाए रखने और जनता की वास्तविक आवाज़ प्रशासन तक पहुँचाने की जिम्मेदारी भी होती है।
कार्यशाला में अपने विचार व्यक्त करते हुए डीपीआरओ आशीष रंजन ने कहा कि मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है, जो जन-जागरूकता बढ़ाने, जनहित के मुद्दों को सामने लाने और शासन-प्रशासन तथा जनता के बीच सशक्त संवाद स्थापित करने में अहम भूमिका निभाता है। उन्होंने बताया कि डिजिटल युग ने प्रेस की कार्यशैली को पूरी तरह बदल दिया है। इंटरनेट और स्मार्टफोन ने समाचार प्रसार की गति को अत्यधिक तेज बना दिया है, जिससे कुछ ही क्षणों में जानकारी लाखों लोगों तक पहुँच जाती है। डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म, ऑनलाइन पोर्टल और सोशल मीडिया ने पत्रकारिता का स्वरूप और प्रभाव कई गुना बढ़ा दिया है।
डीपीआरओ ने यह भी कहा कि आज के समय में फेक न्यूज़ और भ्रामक सूचनाओं का खतरा बढ़ गया है। ऐसे में पत्रकारों की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है कि वे तथ्यों की गहन जाँच-पड़ताल कर सत्य और प्रमाणिक समाचार जनता तक पहुँचाएँ, ताकि प्रेस की विश्वसनीयता बनी रहे।
सेमिनार में शामिल विभिन्न पत्रकारों ने भी अपने अनुभव, सुझाव और विचार साझा किए। कार्यक्रम का मूल संदेश यही रहा कि बदलते समय में मीडिया की भूमिका और जिम्मेदारियाँ पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गई हैं, और प्रेस की विश्वसनीयता बनाए रखना ही आज की सबसे बड़ी चुनौती है।

