मुंबई। अनुराग कश्यप डायरेक्टर के साथ-साथ एक्टर भी हैं। वह इन दिनों हाल में ही रिलीज हुई वेब सीरीज ‘बैड कॉप’ के लिए मिल रहे पॉजिटिव फीडबैक को एन्जॉय कर रहे हैं। उन्होंने कला में नैतिकता की अवधारणा पर अपनी राय दी। उन्होंने सवाल किया कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए फिल्म इंडस्ट्री की ही जिम्मेदारी क्यों मानी जाती है? अगर वे कुछ नकारात्मक दिखाते हैं तो उनकी आलोचना क्यों की जाती है? अनुराग कश्यप ने कहा कि एक फिल्म निर्माता अपनी फिल्मों में जो चाहे दिखा सकता है। यह एक काल्पनिक दुनिया है।
उन्होंने कहा, नैतिकता इंसान की अपनी होती है, एक फिल्म निर्माता अपनी फिल्म में जो चाहे दिखा सकता है। लोग सोचते हैं कि फिल्म बिरादरी के मेंबर समाज में बुरी चीजों को पेश करते हैं या समाज को सुधारते हैं। उन्होंने आगे कहा, इसे फिल्म निर्माताओं की एकमात्र जिम्मेदारी क्यों माना जाता है? जिसको जो बनाना है वो बनाए, जिसको जो दिखाना है वो दिखाए.. एक फिल्म निर्माता जो चाहे बना सकता है या दिखा सकता है क्योंकि वह उसकी फिल्म है। आप अपनी नैतिकता या र्वल्ड व्यू दूसरों पर नहीं थोप सकते। अगर कोई व्यक्ति इतना ताकतवर हो जाता है कि वह अपनी नैतिकता दूसरों पर थोप सकता है तो वह तानाशाह बन जाता है।