-भारत अब चांद पर है और अब चंद्र पथ पर चलने का समय है।
-जब हम अपनी आंखों के सामने ऐसा इतिहास बनते हुए देखते हैं तो जीवन धन्य हो जाता है। ऐसी ऐतिहासिक घटनाएं राष्ट्रीय जीवन की चिरंजीव चेतना बन जाती है।
-यह पल अविस्मरणीय है, यह क्षण अभूतपूर्व है, यह क्षण विकसित भारत के शंखनाद का है। यह क्षण नए भारत के जयघोष का है। यह क्षण मुश्किलों के महासागर को पार करने का है। यह क्षण जीत के चंद्र पथ पर चलने का है। यह क्षण 140 करोड़ धड़कनों के सामथ्र्य का है। यह क्षण भारत में नई ऊर्जा, नये विास, नई चेतना का है। ये क्षण भारत के उदयमान भाग्य के आह्वान का है।
-यह एक ऐसा वर्ष है, जिसमें दुनिया भारत की जी-20 अध्यक्षता देख रही है। एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य का हमारा दृष्टिकोण दुनिया भर में गूंज रहा है। यह मानव-केंद्रित दृष्टिकोण जो हम प्रस्तुत करते हैं, उसका सार्वभौमिक रूप से स्वागत किया गया है। हमारा चंद्रमा मिशन भी उसी मानव-केंद्रित दृष्टिकोण पर आधारित है। इसलिए, यह सफलता पूरी मानवता की है।
-अमृत काल की प्रथम प्रभा में सफलता की यह अमृत वष्रा हुई है। हमने धरती पर संकल्प लिया और चांद पर उसे साकार किया। हमारे वैज्ञानिक साथियों ने भी कहा है ‘इंडिया इज ऑन द मून’। आज हम अंतरिक्ष में नए भारत की नई उड़ान के साक्षी बने हैं।
-वह भले दक्षिण अफ्रीका में हैं लेकिन हर देशवासी की तरह उनका मन चंद्रयान महाअभियान पर ही लगा हुआ था। वह टीम चंद्रयान को, इसरो को और देश के सभी वैज्ञानिकों को जी जान से बहुत-बहुत बधाई देता हूं, जिन्होंने इस पल के लिए वर्षों तक इतना परिश्रम किया।
-हमारे वैज्ञानिकों के परिश्रम और प्रतिभा से भारत चंद्रमा के उस दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचा है, जहां आज तक दुनिया का कोई भी देश नहीं पहुंच सका है।
-भारत में तो सभी लोग धरती को ‘मां’ कहते हैं और चांद को ‘मामा’ बुलाते हैं लेकिन आज के बाद से चांद से जुड़े मिथक और कथानक भी बदल जाएंगे। उन्होंने कहा, ‘..और नई पीढ़ी के लिए कहावतें भी बदल जाएंगी। कभी कहा जाता था- चंदा मामा बहुत दूर के हैं, अब एक दिन वो भी आएगा..जब बच्चे कहा करेंगे, चंदा मामा बस एक टूर के हैं।’
द भारत ने कई बड़े और महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किए हैं। चंद्रयान महाअभियान की यह उपलब्धि भारत की उड़ान को चन्द्रमा की कक्षाओं से आगे ले जाएगी। हम हमारे सौरमंडल की सीमाओं का सामथ्र्य परखेंगे और मानव के लिए ब्रrांड की अनंत संभावनाओं को साकार करने के लिए भी जरुर काम करेंगे। हमने भविष्य के लिए कई बड़े और महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किए हैं। जल्द ही, सूर्य के विस्तृत अध्ययन के लिए इसरो ‘आदित्य एल-1’ मिशन लांच करने जा रहा है। इसके बाद शुक्र भी इसरो के लक्ष्यों में से एक है। गगनयान के जरिए देश अपने पहले मानव अंतरिक्ष फ्लाइट मिशन के लिए भी पूरी तैयारी के साथ जुटा है।
-यह दिन हम सभी को एक उज्ज्वल भविष्य की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करेगा। ये दिन हमें अपने संकल्पों की सिद्धि का रास्ता दिखाएगा। ये दिन इस बात का प्रतीक है कि हार से सबक लेकर जीत कैसे हासिल की जाती है।