crossorigin="anonymous"> इमरान खान को अयोग्य ठहराने की मांग वाली याचिका खारिज के खिलाफ चुनौती - Sanchar Times

इमरान खान को अयोग्य ठहराने की मांग वाली याचिका खारिज के खिलाफ चुनौती

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पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को 2018 के आम चुनावों के लिए नामांकन पत्र जमा करते समय अपनी कथित बेटी टायरियन व्हाइट का नाम छिपाने के लिए अयोग्य ठहराने की मांग वाली याचिका खारिज करने के खिलाफ अपील की गई है। इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने पिछले महीने याचिका खारिज कर दी थी।

याचिका में क्या है आरोप

याचिका में आरोप लगाया गया है कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के संस्थापक ने 2018 के आम चुनाव लड़ने के लिए अपने नामांकन पत्र में अपनी कथित बेटी – टायरियन व्हाइट – का खुलासा नहीं किया था। खान की पार्टी पीटीआई ने 2018 के आम चुनाव जीते और पूर्व क्रिकेटर से राजनेता बने खान अगस्त 2018 से अप्रैल 2022 तक पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे। तीन न्यायाधीशों की पीठ के पूर्व में मामले को खारिज करने के मद्देनजर हाई कोर्ट ने भी इसे खारिज कर दिया।

न्यायमूर्ति तारिक महमूद जहांगीरी ने पिछले वर्ष दी गई दोनों न्यायाधीशों की राय पढ़ी और निर्णय सुनाया कि मामला पहले ही खारिज किया जा चुका है। याचिकाकर्ता मोहम्मद साजिद ने अपने अधिवक्ता साद मुमताज हाशमी के माध्यम से शनिवार को सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर कर दलील दी कि इस्लामाबाद हाई कोर्ट की पूर्ण पीठ ने तीन में से दो न्यायाधीशों की सहमति वाली राय को अदालती फैसला मानने में गलती की है।

याचिकाकर्ता के अनुसार, खान ने मियांवाली निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए नामांकन पत्र दाखिल करते समय अपनी कथित बेटी के अस्तित्व का उल्लेख नहीं किया था और मात्र अपनी पत्नी बुशरा बीबी और विदेश में रहने वाले कासिम खान और सुलेमान खान दो बेटों का ही विवरण दिया था। याचिकाकर्ता ने कहा कि खान ने झूठा हलफनामा प्रस्तुत किया है, इसलिए उन्हें अयोग्य ठहराया जाना चाहिए।

याचिका में कहा गया कि यह एक निर्विवाद तथ्य है कि 15 जून 1992 को जन्मी व्हाइट, इमरान खान की असली बेटी है, क्योंकि कैलिफोर्निया, अमेरिका की अदालतों में न्यायिक रिकॉर्ड द्वारा उसके पितृत्व की पुष्टि की गई है। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि याचिका 21 मई, 2024 को आईएचसी की पूर्ण पीठ के समक्ष तय की गई थी, लेकिन पीठ ने मामले की नए सिरे से सुनवाई करने के बजाय याचिका को खारिज कर दिया।

अपनी याचिका पर नए सिरे से सुनवाई करने के बजाय उसे खारिज करने को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि वेबसाइट पर अपलोड की गई दो न्यायाधीशों की राय सुप्रीम कोर्ट द्वारा कई फैसलों में घोषित कानून के मद्देनजर निर्णय नहीं है। (एजेंसी)


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