crossorigin="anonymous"> खड़गे ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, लूट की नहीं कोई सीमा, महँगाई ने छीना जीवन बीमा! - Sanchar Times

खड़गे ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, लूट की नहीं कोई सीमा, महँगाई ने छीना जीवन बीमा!

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महंगाई को लेकर विपक्ष एक बार फिर मोदी सरकार पर निशाना साध रहा है। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) नेता हाल ही में भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) जीवन बीमा सर्वेक्षण का जवाब दे रहे हैं जिसमें कहा गया है कि इसके 43% उपभोक्ता अब मौजूदा आर्थिक माहौल में मुद्रास्फीति को अपनी महत्वपूर्ण चिंता मानते हैं। विपक्ष एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस के सर्वेक्षण परिणामों का हवाला दे रहा है जिसमें यह भी पता चला है कि “पिछले पांच वर्षों के भीतर 47% उपभोक्ताओं ने अपनी पॉलिसियों को सरेंडर कर दिया था या नवीनीकृत नहीं किया था।” कांग्रेस ने तो साफ तौर पर कहा है कि यह मोदी सरकार में बेलगाम महंगाई और मुनाफाखोरी का नतीजा है।

कांग्रेस ने ट्वीट कर लिखा कि ‘पांच साल में 47% लोगों ने लौटाई जीवन बीमा पॉलिसी’। ये मोदी सरकार में बेलगाम महंगाई और मुनाफाखोरी का नतीजा है कि लोग ‘जीवन बीमा’ जैसी जरूरी सुविधा का खर्च भी नहीं उठा पा रहे हैं। इसके साथ ही उसने लिखा कि ‘अच्छे दिन’ का सपना दिखाकर PM मोदी ने अपने ही देशवासियों का भविष्य दांव पर लगा दिया है। आज महंगाई से हर मोर्चे पर लड़ रहे करोड़ों लोग एक आवाज में पूछ रहे हैं- मोदी जी, क्या यही है वो अमृतकाल? वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि लूट की कोई नहीं सीमा, महँगाई ने छीना जीवन बीमा! उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की मुनाफ़ाख़ोरी की नीति के चलते एक आम परिवार का घर चलाना मुश्किल हो चला है।

खड़गे ने आगे लिखा कि जानलेवा महँगाई का परिणाम यह है कि ज़रूरी जीवन बीमा भी लोग सरेंडर करने पर मजबूर हो गये हैं। पिछले 5 सालों में 47% लोगों ने जीवन बीमा पॉलिसी लौटा दी है। अगर ये है जनता की जेब का हाल, तो नहीं चाहिए ऐसा अमृत काल! जयराम रमेश ने सरकार पर हमला करते हुए कहा कि महंगाई अनियंत्रित हो चुकी है। खाने पीने से लेकर शिक्षा एवं स्वास्थ्य पर ख़र्च में बढ़ोतरी से देशवासी परेशान हैं। दवाई से लेकर पढ़ाई तक सब कुछ महंगा हो गया है। महंगाई से सबसे ज़्यादा परेशान आम और ग़रीब लोग हैं, क्योंकि उनकी आय नहीं बढ़ रही है। प्रधानमंत्री मोदी के अमृत काल में सिर्फ़ उनके कुछ पूँजीपति मित्रों की संपत्ति बढ़ती जा रही है।

आप नेता राघव चड्ढा ने कहा, “दिसंबर 2022 में, मैंने संसद में महंगाई का गंभीर मामला उठाया था। 10 महीने बाद, लोगों के जीवन पर बढ़ती महंगाई का असर और अधिक स्पष्ट हो गया है, जैसा कि एक सर्वेक्षण के नतीजों से पता चलता है।” उन्होंने टिप्पणी की, “भाजपा सरकार की उदासीनता माइकल जैक्सन की ‘उन्हें वास्तव में हमारी परवाह नहीं है’ की याद दिलाती है।” जून 2023 में आयोजित सर्वेक्षण में भारत के 41 शहरों के 5,000 उत्तरदाताओं को शामिल किया गया था। इससे पता चला कि 36% उत्तरदाता बढ़ती चिकित्सा लागत के बारे में चिंतित हैं, 35% शिक्षा की बढ़ती लागत के बारे में, 27% संभावित मंदी और उसके प्रभाव के बारे में, 24% खराब मानसिक और 24% शारीरिक स्वास्थ्य स्थिति के अलावा, नौकरी छूटने और जीवन/स्वास्थ्य बीमा की अपर्याप्तता के बारे में चिंतित हैं।


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