जी20 शिखर सम्मेलन कवर करने के लिए दुनियाभर के सैंकड़ों पत्रकार यहां एकत्र हुए। बीते तीन दिन के दौरान प्रगति मैदान में अंतरराष्ट्रीय मीडिया केंद्र में एक साथ काम कर उन्हें ‘एक परिवार’ की भावना का अनुभव हुआ। आठ-10 सितंबर तक, इटली से सिंगापुर और तुर्किये से ब्राजील तक के पत्रकारों और छायाकारों ने नवनिर्मित भारत मंडपम के केंद्र से काम किया। काम के बीच- बीच, कॉफी और भारतीय व्यंजनों का लुत्फ उठाते हुए उन्होंने एक दूसरे से बातचीत की और एक दूसरे से अलग अलग देशों की संस्कृति के बारे में जाना। जर्मनी में एक समाचार एजेंसी के लिए काम करने वाले माइकल होफ़ेले ने कहा, “जी20 की थीम एक विश्व, एक परिवार, एक भविष्य है और हम सभी एक ही स्थान पर, एक ही छत के नीचे एक लक्ष्य के साथ काम कर रहे हैं।
इसलिए, यहां जी20 की भावना को महसूस किया जा सकता है।” अंतरराष्ट्रीय मीडिया केंद्र ‘भारत मंडपम’ परिसर के हॉल नंबर पांच में दो मंजिलों में फैला हुआ है। शनिवार को, हॉल के भूतल पर, एक कोने में, तुर्किये की एक टीवी पत्रकार सीधा प्रसारण दे रही थीं, जबकि उनकी मेज के पास एक जर्मन छायाकर जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज की प्रेस वार्ता के बाद तस्वीरें भेजने में व्यस्त थे। शिखर सम्मेलन के दूसरे दिन रविवार को साड़ी पहने एक भारतीय टीवी पत्रकार ने एक प्रतिनिधि के साथ बातचीत की, जबकि उनके पास ही बैठे इटली के एक संवाददाता लैपटॉप पर अपनी खबर लिख रहे थे। इस्तांबुल की टीवी पत्रकार असली बिल्गर कुतलुदाग ने कहा, “ हम सभी पिछले तीन दिनों से यहां काम कर रहे हैं।
आठ सितंबर को शिखर सम्मेलन-पूर्व ब्रीफिंग से लेकर नौ सितंबर को मुख्य शिखर सम्मेलन और आज कार्यक्रम के समापन तक। मुझे कार्यस्थल के बारे में सबसे अच्छी बात यह लगी कि इसमें खंड विभाजित करने के लिए दीवारें नहीं है। एक कोने में बैठा शख्स दूसरे कोने में बैठे व्यक्ति को देख सकता है।” उन्होंने कहा कि यह बहुत थका देने वाला रहा लेकिन भारत का एक अलग अनुभव है। एक आतिथ्य कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “ एक मेज पर ब्राजील के एक पत्रकार बैठे हैं , जबकि दूसरी मेज पर जर्मनी के एक पत्रकार बैठे हैं। वे सभी एक ही काम कर रहे हैं, भले ही वे अलग-अलग संस्कृति और देशों से हों। पिछले तीन दिनों से यह एक बड़े वैश्विक परिवार जैसा था। सचमुच वसुधैव कुटुंबकम्।