आजकल ज्यादातर परिवारों में बच्चों में कहना न मानने जैसी समस्याएं आम हो गई हैं
संचार टाइम्स डेस्क । बच्चों को संभालना दुनिया के सबसे मुश्किल कामों में से एक है। यकीन मानिए, अगर आप इसमें सफल हो जाते हैं, तो आप समझ लीजिए आपने दुनिया जीत ली। आजकल ज्यादातर परिवारों में बच्चों में कहना न मानने जैसी समस्याएं आम हो गई हैं। इस बात को लेकर पेरेंट्स परेशान रहते है कि वे क्या करें। उन्हें समझ ही नहीं आता कि आखिर वह ऐसा क्या कहें, जिससे बच्चे उनकी सुनें। ऐसी स्थिति में बच्चों के साथ डील करने के लिए आपको काफी सोच-विचार कर कदम उठाने की जरूरत है। पेरेंट्स की इसी समस्या का समाधान करने के लिए ‘एडुकॉन्सेप्ट्स इंडिया इनिशिएटिव्स‘ में सलाहकार मनोवैज्ञानिक और डीप ट्रांसफॉर्मेशन कोच प्रगति राव से बात की। प्रगति ने कहा, आज के समय में हमारे बच्चे बहुत आगे निकल चुके हैं। वह ऐसी चीजें एक्सप्लोर कर रहे हैं जो शायद आपने और हमने कभी सोची भी नहीं थी।
आज के बच्चों की सोच हमसे कहीं बढकर है। जब आप और हम बड़े हो रहे थे तो हमारा माइंड सेट एक फॉलोअर्स वाला था, मगर आजकल के बच्चे लीडर हैं। वह हर चीज की जानकारी रखते हैं।
अक्सर आपने भी अपने बच्चों को कहते हुए सुना होगा कि ‘आप नहीं समझेंगे’, ऐसे में कई बार पेरेंट्स और बच्चों के बीच टकराव भी देखने को मिलता है। उन्होंने कहा, थोड़े समय पीछे जाएं तो बच्चों को संभालना बेहद आसान था। जो अब बेहद ही मुश्किल होता जा रहा है। एक्सपर्ट ने आगे कहा, इसके पीछे माता-पिता की भी गलती है क्योंकि वह समय से पहले अपने बच्चों पर अपनी इच्छाएं थोप देते हैं जो बिल्कुल भी सही बात नहीं है। हम समय से पहले चाहते हैं कि हमारा बच्चा बहुत बुद्धिमान हो, इससे बच्चे पर दबाव पड़ता है और उसमें हीन भावना आने लगती है। ऐसे में वह माता-पिता से कटा-कटा सा रहता है और अपने मन की बात खुलकर नहीं बोल पाता। मगर ऐसी स्थिति आने पर माता-पिता कहते हैं कि हमारा बच्चा कहना नहीं मानता, बेहद ही बदतमीज हो गया है।
उन्होंने आगे बताया, बच्चा आपको सामने से कभी जवाब नहीं देगा। वह अपने एक्शन के जरिए आपको बताएगा कि आप उसके साथ गलत कर रहे हैं। एक्सपर्ट ने कहा मैंने और आपने ‘स्ट्रेस’ शब्द शायद काफी लेट से सुना होगा मगर वर्तमान की बात करें तो ये आज के बच्चों के जीवन का हिस्सा बन चुका है।
सोशल मीडिया के बारे में बात करते हुए एक्सपर्ट ने बताया, वर्तमान समय की बात करें तो आजकल 90 प्रतिशत बच्चों के पास इंस्टाग्राम अकाउंट है। ज्यादातर बच्चे यही मानते हैं कि उनकी उनके दोस्तों से इसी प्लेटफॉर्म के जरिये बातचीत होनी चाहिए, इसमे बच्चों का एक माइंड सेट और है कि व्हाट्सएप का इस्तेमाल करने वाले बच्चे ‘लो सोशल सर्कल’ से आते हैं।