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मध्य प्रदेश चुनाव में भाजपा के समक्ष सत्ता में वापसी बड़ी चुनौती, नहीं छोड़ना चाहती कोई कसर

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मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा के समक्ष सत्ता में वापसी बड़ी चुनौती है। पार्टी राज्य में अपनी सरकार बरकरार रखने को लेकर कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। इसी को लेकर पार्टी आम जनता तक सीधा पहुंचने की कोशिश में है। इसको लेकर जबरदस्त तरीके से चुनावी अभियान चलाया जा रहा है। भाजपा उन गलियों तक भी अपने चुनावी अभियान को पहुंचाने में जुटी हुई है, जहां बड़ी रैलियां की गुंजाइश नहीं है। इसको लेकर भाजपा तकनीक का इस्तेमाल कर रही है। इसके लिए भाजपा टेक्नोलॉजी रथ का उपयोग कर रही है जिसे 2014 और उत्तर प्रदेश के चुनाव में इस्तेमाल किया था। तकनीकी रूप से सुसज्जित सूक्ष्म रथ पार्टी के संदेश के साथ 230 विधानसभा क्षेत्रों के गांवों की गलियों तक यात्रा करेंगे। प्रत्येक रथ के प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में हर दिन 10 शो आयोजित करने की उम्मीद है।

भाजपा को उम्मीद है कि चुनाव प्रचार समाप्त होने तक ऐसी 50,000 बैठकें पूरी हो जाएंगी। इन रथों के जरिए बीजेपी केंद्र और राज्य सरकार की उपलब्धियों को फिल्मों के जरिए प्रदर्शित करेगी। इन वीडियो में मध्य प्रदेश की स्थानीय भाषाओं को प्राथमिकता देते हुए बीजेपी बुंदेली और बघेली में भी फिल्में दिखाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और भाजपा के शीर्ष नेताओं के भाषणों का निर्धारित स्थानों से सीधा प्रसारण किया जाएगा। लाइव भाषणों के अलावा, पीएम के मन की बात से लेकर शिवराज सिंह चौहान की लाडली बहना योजना के लाभों तक के विषयों पर लघु फिल्में प्रसारित की जाएंगी। सूत्रों ने कहा कि कुछ लघु फिल्में “कांग्रेस सरकारों की विफलता” पर भी आधारित होंगी।

भाजपा यह सुनिश्चित करने के लिए योजना बना रही है कि उसके राज्य नेतृत्व का एक वर्ग इनमें से कुछ प्रसारणों में मौजूद रहे। इंटरनेट से जुड़े, टीवी स्क्रीन और साउंड सिस्टम से युक्त ये रथ आत्मनिर्भर होंगे। प्रत्येक रथ में एक क्यूआर कोड होगा जिसे भाजपा को वोट देने के लिए मतदाताओं की प्रतिबद्धता व्यक्त करने के लिए स्कैन किया जा सकता है। यह पहली बार नहीं है जब भगवा पार्टी द्वारा इस तरह के सूक्ष्म अभियान की योजना बनाई गई है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों के साथ-साथ पिछले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान भी इसी तरह की रणनीति अपनाई गई थी।


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