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शरीर के किस हिस्से को ‘फ्राइड राइस सिंड्रोम’ करता है प्रभावित, जानिए लक्षण और बचाव

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…अच्छी सेहत का रास्ता अच्छे खाने से होकर जाता है हम क्या खा रहे है और वह कितना स्वच्छ और सेहत के लिए अच्छा है यह बहुत जरूरी है। अक्सर नौकरी और पढ़ाई के चलते लोग घर का खाना नहीं खा पाते है और फिर बाहर का खाना खाते है। कई बार खाने में क्वालिटी मिल जाती है तो वहीं पर कई बार खाने का बुरा असर सेहत पर पड़ जाता है। ऐसे ही एक बीमारी ‘फ्राइड राइस सिंड्रोम’ इन दिनों चर्चा में है जिसे फूड पॉइजनिंग का एक प्रकार कहते है। चलिए इसे अच्छी तरह समझते है…
जानिए क्या होता है फ्राइड राइस सिंड्रोम

इस सिंड्रोम को लेकर क्लीवलैंड क्लिनिक के अनुसार, यह सिंड्रोम एक तरह से फूड पॉइजनिंग है जो बैसिलस सेरेस (बी. सेरेस) नामक बैक्टीरिया के कारण पनपता है। जो इतना सूक्ष्म होता है कि, चावल और पास्ता जैसे स्टार्च रिच फूड आइटम्स में समाया होता है। यहां एक तरह से बैक्टीरिया को पनपने के लिए समय और सही तापमान के कॉम्बिनेशन की आवश्यकता होती है। इस बैक्टीरिया के वजह से इंसान के शरीर का अंग पेट प्रभावित होता है।
यह होते है सिंड्रोम के लक्षण

इस बीमारी को समझने के बाद अगर इसके लक्षण की बात करें तो, इसके लक्षण व्यक्ति में इस तरह से देखने के लिए मिलते हैं जो प्रभावित करते है…

दस्त
बुखार
उल्टी करना
जी मिचलाना
पेट में दर्द और ऐंठन
ऐसे करें इस सिंड्रोम से बचाव

अगर किसी व्यक्ति के शरीर में इस प्रकार के लक्षण देखने के लिए मिलते है तो इन तरीकों को ध्यान में रखते हुए बचाव करना चाहिए।

1- खाना बनाने से लेकर खाने को छूने या बनाने से पहले आपके हाथ को साबुन से साफ जरूर करें।
2- अगर कच्चे चावल और पास्ता को पकाया ना जाए उससे पहले बनाने वाली जगह पर नहीं लाएं, इसे आप ठंडी या सूखी जगह पर रख दें।
3- अगर खाने के बाद भोजन बच गया है तो इसे बाहर खुले में नहीं रहने दे इसे किसी डिब्बे या कंटेनर में भरकर रख दें।
4- राइस या पास्ता को पकाने के लिए उबले पानी या कुकर में बनाने रखें।
5- अगर आपके यहां पर भोजन दो दिन या उससे समय का हो जाए तो उसे बाहर डिस्पोज कर दें।


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