सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन के वकील से पूछा कि क्या ट्रायल कोर्ट द्वारा उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दायर अभियोजन शिकायत पर संज्ञान लेने के बाद उनकी गिरफ्तारी को चुनौती दी जा सकती है। हेमंत सोरेन के वकील ने कोर्ट के सवाल का जवाब देने के लिए कल तक समय मांगा है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 22 मई के लिए सुनवाई फिर से सूचीबद्ध की। न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने मामले को बुधवार को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करते हुए सोरेन के वकील से यह बताने को कहा कि जब नियमित जमानत के लिए उनकी याचिका खारिज कर दी गई है तो उनके लोकसभा चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत कैसे दी जा सकती है। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई बुधवार को तय की।
सोरेन का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और अरुणाभ चौधरी ने अदालत के सवालों का जवाब देने के लिए बुधवार तक का समय मांगा। हालांकि, ईडी का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने सोरेन की अंतरिम जमानत याचिका का विरोध किया और तर्क दिया कि उनका मामला दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से अलग है, जिन्हें आम चुनाव में प्रचार के लिए 10 मई को अंतरिम जमानत दी गई थी। राजू ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने 4 अप्रैल को अभियोजन की शिकायत पर संज्ञान लिया, जो ईडी के आरोप पत्र के बराबर है और प्रथम दृष्टया सोरेन के खिलाफ मामला पाया।
ईडी ने अपने हलफनामे में सोरेन पर राज्य मशीनरी का दुरुपयोग करके मनी लॉन्ड्रिंग जांच को बाधित करने का सक्रिय प्रयास करने का आरोप लगाया। इसने लोकसभा चुनाव में प्रचार करने के लिए अंतरिम जमानत के लिए उनकी “विशेष प्रार्थना” का विरोध किया है। सोरेन ने झारखंड उच्च न्यायालय के 3 मई के आदेश को चुनौती दी थी, जिसने ईडी द्वारा उनकी गिरफ्तारी के खिलाफ उनकी याचिका खारिज कर दी थी।