सुप्रीम कोर्ट ने 22 मई को झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री की अंतरिम जमानत याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि याचिकाकर्ता ने इस तथ्य का खुलासा नहीं किया है कि ट्रायल कोर्ट ने मामले में आरोप पत्र पर संज्ञान लिया है। हेमंत सोरेन का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि वह अंतरिम जमानत की मांग वाली याचिका वापस लेते हैं। उन्होंने मौजूदा लोकसभा चुनाव में वोट के लिए प्रचार करने के लिए अंतरिम जमानत की मांग करते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा भी खटखटाया था। झारखंड में 20 मई, 25 मई और 1 जून को मतदान होना है।
पिछली सुनवाई में न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की अवकाश पीठ ने कहा कि श्री सोरेन के मामले में, अंतरिम जमानत की तो बात ही छोड़ दें, लेकिन उनकी गिरफ्तारी को रद्द करने के लिए भी “गहन बहस” की आवश्यकता है। उनके मामले को श्री केजरीवाल से अलग करते हुए, पीठ ने बताया कि झारखंड की एक ट्रायल कोर्ट ने पहले श्री सोरेन के खिलाफ प्रथम दृष्टया आपत्तिजनक सबूतों के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों का संज्ञान लिया था और 3 मई को उन्हें जमानत देने से भी इनकार कर दिया था।