ST.News Desk : माकपा महासचिव सीताराम येचुरी का बृहस्पतिवार को यहां एम्स में निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार थे। येचुरी 72 वर्ष के थे। उनकी हालत पिछले कुछ दिन से गंभीर बनी हुई थी और उन्हें कृत्रिम सन पण्राली पर रखा गया था। एम्स ने एक बयान में कहा कि येचुरी के परिवार ने शिक्षण और शोध उद्देश्यों के लिए उनका पार्थिव शरीर अस्पताल को दान कर दिया है। माकपा ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, अत्यंत दुख के साथ सूचित किया जाता है कि माकपा के महासचिव, हमारे प्रिय कॉमरेड सीताराम येचुरी का आज 12 सितम्बर को अपराह्न 03:03 बजे एम्स, नई दिल्ली में निधन हो गया। वह सन नली के संक्रमण से पीड़ित थे, जिसके कारण जटिलताएं उत्पन्न हो गईं। माकपा ने कहा, हम कॉमरेड येचुरी के बेहतरीन इलाज और उनकी देखभाल के लिए चिकित्सकों, नर्सिंग कर्मियों और संस्थान के निदेशक को धन्यवाद देते हैं। येचुरी का पार्थिव शरीर शनिवार को पूर्वाह्न 11 बजे से अपराह्न तीन बजे तक पार्टी मुख्यालय में जनता के दर्शन और श्रद्धांजलि के लिए रखा जाएगा।
उदारवादी वामपंथी राजनीति के पुरोधा
जीवनी
-(जन्म 12 अगस्त 1952 को चेन्नई में एक तेलुगु भाषी परिवार में हुआ था।
-पिता सव्रेर सोमयाजुला येचुरी आंध्र प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम में इंजीनियर थे।
-माता कल्पकम येचुरी सरकारी अधिकारी थीं।
वर्तमान में परिवार
-येचुरी के परिवार में उनकी पत्नी सीमा चिश्ती हैं।
-बेटे आशीष येचुरी का कोरोना के कारण निधन हो गया।
-बेटी अखिला येचुरी एडिनबर्ग विविद्यालय और सेंट एंड्रयूज विविद्यालय में पढ़ाती हैं।
-येचुरी की शादी पहले इंद्राणी मजूमदार से हुई थी।
शिक्षा
-वह हैदराबाद में पले-बढ़े, साल 1969 में उनका परिवार दिल्ली आ गया।
-येचुरी ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की परीक्षाओं में अखिल भारतीय स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त किया।
-येचुरी ने दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से अर्थशास्त्र में स्नातक किया।
-जेएनयू से एक बार फिर प्रथम श्रेणी के साथ स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की।
-आपातकाल के दौरान गिरफ्तारी के कारण वह पीएचडी की डिग्री पूरी नहीं कर सके।
राजनीतिक जीवन
-एसएफआई में वह 1974 में शामिल हुए और अगले ही साल पार्टी के सदस्य बन गए।
-आपातकाल के दौरान कुछ महीने बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
-जेल से रिहा होने के बाद वह तीन बार जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष चुने गए।
-1978 में वह एसएफआई के अखिल भारतीय संयुक्त सचिव बने और उसके तुरंत बाद अध्यक्ष।
-1985 में माकपा की केंद्रीय समिति के लिए चुने गए और 1992 में 40 वर्ष की आयु में पोलित ब्यूरो के लिए चुने गए।
-19 अप्रैल 2015 को विशाखापत्तनम में पार्टी के 21वें अधिवेशन में माकपा के पांचवें महासचिव बने।
-उन्हें 2018 और 2022 में फिर से इस पद के लिए चुना गया।
-येचुरी 2004 से 2014 तक संप्रग के शासनकाल में सबसे प्रभावशाली व्यक्ति थे ।
-प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के 10 वर्षों के कार्यकाल के दौरान संप्रग की अध्यक्ष सोनिया गांधी के भरोसेमंद सहयोगी रहे।
-भारत-अमेरिका परमाणु समझौते के मुद्दे पर संप्रग सरकार के साथ चर्चा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
-येचुरी 2017 तक 12 साल तक राज्यसभा के सदस्य रहे और विपक्ष की मजबूत आवाज बने रहे।
-वह पहले गैर-कांग्रेसी नेता थे, जिन्हें सोनिया गांधी ने 2004 में तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से मुलाकात के बाद फोन किया था, जब उन्होंने प्रधानमंत्री का पद अस्वीकार कर दिया था और इसके लिए मनमोहनंिसह का समर्थन किया था।
-येचुरी विभिन्न मुद्दों पर राज्यसभा में अपने सशक्त और स्पष्ट भाषणों के लिए जाने जाते थे।
-वह बहुभाषी थे औरंिहदी, तेलुगु, तमिल, बांग्ला तथा मलयालम भी बोल सकते थे।