एमयूडीए भूखंड आवंटन मामला
बेंगलुरू। कर्नाटक की एक विशेष अदालत ने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) भूखंड आवंटन मामले में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ बुधवार को लोकायुक्त पुलिस से जांच कराने का आदेश दिया। विशेष अदालत के न्यायाधीश संतोष गजानन भट्ट के इस आदेश से एक दिन पहले कर्नाटक हाईकोर्ट ने इस मामले में सिद्धारमैया के खिलाफ जांच कराने की राज्यपाल थावरचंद गहलोत की मंजूरी को बरकरार रखा था। इस मामले में एमयूडीए पर सिद्धारमैया की पत्नी को 14 भूखंड आवंटित करने में अनियमितताएं बरतने का आरोप है।
विशेष अदालत ने मैसुरू में लोकायुक्त पुलिस को आरटीआई कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा द्वारा दायर शिकायत पर जांच शुरू करने का निर्देश दिया है। अदालत ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 156 (3) (जो मजिस्ट्रेट को सं™ोय अपराध की जांच का आदेश देने का अधिकार प्रदान करती है) के तहत जांच करने के निर्देश जारी किए। अदालत ने पुलिस को 24 दिसम्बर तक जांच रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया। हाईकोर्ट ने सिद्धारमैया की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17ए के तहत जांच की मंजूरी देने संबंधी राज्यपाल के 16 अगस्त के आदेश की वैधता को चुनौती दी थी।
यह मामला सिद्धारमैया की पत्नी बी. एम. पार्वती को कथित तौर पर मुआवजे के तौर पर मैसुरू के एक पॉश इलाके में जमीन आवंटित किए जाने से जुड़ा है, जिसका संपत्ति मूल्य उनकी उस जमीन की तुलना में अधिक था जिसे एमयूडीए ने ‘अधिग्रहीत’ किया था। एमयूडीए ने पार्वती की 3.16 एकड़ जमीन के बदले में उन्हें 50:50 के अनुपात से भूखंड आवंटित किये थे जहां उसने आवासीय लेआउट विकसित किये थे। इस विवादास्पद योजना के तहत एमयूडीए ने उन लोगों को 50 प्रतिशत विकसित जमीन आवंटित की थी जिनकी अविकसित जमीन आवासीय लेआउट विकसित करने के लिए ली गयी थी।