
हैदर अली
सासाराम (संचारटाइम्स.न्यूज)

खानकाह इस्टेट के सज्जादानशीन मोवल्ली बुरहानउद्दीन ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर वक़्फ़ संशोधन अधिनियम बिल 2024/2025 पर कड़ा विरोध व्यक्त किया है। उन्होंने इसे मुसलमानों के खिलाफ भेदभावपूर्ण और धोखा देने वाला कानून बताया। उनका कहना है कि यह बिल वक़्फ़ संपत्ति को नुकसान पहुंचाएगा और समाज में द्वेष फैलाएगा।
उन्होंने बताया कि भारत सरकार के केंद्रीय मंत्री और सांसदों द्वारा शपथ ली गई थी, लेकिन वे अब अपने शब्दों को भूल गए हैं, जो दुखद और अफसोसजनक है। बुरहानउद्दीन ने यह भी स्पष्ट किया कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत शांतिपूर्वक एकत्र होने का अधिकार, प्रदर्शन करने और आंदोलन करने का अधिकार हर नागरिक का है, और ऐसे आयोजनों से सरकार के कार्यों पर सवाल उठाना और आपत्ति जताना उनका कानूनी अधिकार है।
वह आगे कहते हैं कि वक़्फ़ संपत्ति “ईश्वर/अल्लाह” को समर्पित होती है और इसका अस्तित्व बदलना या उसे वापस लेना किसी के लिए भी संभव नहीं है। उन्होंने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार, एक बार जब संपत्ति वक़्फ़ हो जाती है, तो उसका अस्तित्व और उपयोग बदलने का कोई अधिकार नहीं होता। यह विशेष रूप से किसी काले कानून को लागू करने के खिलाफ है।
मोवल्ली बुरहानउद्दीन ने धर्म के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला और कहा कि वक़्फ़ का इतिहास पैगंबर मोहम्मद ﷺ के समय से है, और भारतीय उपमहाद्वीप में कई राजाओं और सुलतान ने अपनी जायदाद वक़्फ़ के रूप में दान की थी। उन्होंने हिंदू धर्म के शास्त्रों, जैसे श्रीमद् भागवत गीता में सात्विक दान और क़ुरान में जकात और सदका के महत्व का भी उल्लेख किया।
उन्होंने यह भी बताया कि भारत में वक़्फ़ संपत्ति के संरक्षण के लिए विभिन्न अधिनियम बनाए गए हैं, जैसे बिहार वक़्फ़ एक्ट, 1947, और अन्य राज्यों में भी इसी तरह के कानून हैं। उन्होंने इसे समानता और न्याय के खिलाफ बताते हुए वक़्फ़ संशोधन बिल 2024/2025 को तत्काल निरस्त करने की आवश्यकता जताई।
मोवल्ली बुरहानउद्दीन ने यह स्पष्ट किया कि यह बिल मुसलमानों के खिलाफ है और इससे केवल वक़्फ़ संपत्ति का नुकसान होगा, जिससे भविष्य में विवाद बढ़ेंगे और समाज में द्वेष का माहौल बनेगा। उनका कहना है कि इस विधेयक का विरोध करना उनका कानूनी अधिकार है और वे इसे समाप्त करने के लिए संघर्ष करेंगे।
