छह राज्यों की सात विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव के लिए मंगलवार वोट डाले जाएंगे। केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा का एकजुट होकर मुकाबला करने के लिए विपक्षी दलों द्वारा गठित ‘इंडिया’ गठबंधन का यह पहली चुनावी परीक्षा मानी जा रही है।
विपक्षी गठबंधन उत्तर प्रदेश की घोसी सीट, झारखंड की डुमरी, त्रिपुरा की धनपुर और बॉक्सनगर और उत्तराखंड की बागेर सीट पर संयुक्त रूप से मुकाबला कर रहा है जबकि पश्चिम बंगाल के धूपगुड़ी और केरल के पुथुपल्ली में गठबंधन के घटक ही एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। इन सीटों पर मतगणना आठ सितम्बर को होगी। उत्तर प्रदेश की घोसी सीट समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक और ओबीसी नेता दारा सिंह चौहान के इस्तीफे के बाद खाली हुई थी। वह सपा छोड़ भाजपा में शामिल हो गए।
सत्तारूढ़ भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने चौहान को मैदान में उतारा है जबकि सपा उम्मीदवार सुधाकर सिंह को कांग्रेस और वाम दलों ने समर्थन दिया है। चौहान योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली पिछली भाजपा सरकार में मंत्री थे। उन्होंने 12 जनवरी 2022 को मंत्रिपरिषद से इस्तीफा दे दिया था और सपा में शामिल हो गये थे। उत्तर बंगाल में धूपगुड़ी विधानसभा क्षेत्र में तृणमूल कांग्रेस, भाजपा और कांग्रेस समर्थित मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है। तृणमूल कांग्रेस ने 2016 में इस सीट से जीत दर्ज की थी लेकिन 2021 के चुनाव में भाजपा ने यह सीट उससे छीन ली थी।
त्रिपुरा के सिपाहीजला जिले की धनपुर और बॉक्सानगर विधानसभा सीटों पर मुख्यमंत्री माणिक साहा ने पार्टी के प्रचार अभियान का नेतृत्व किया। मुख्य विपक्षी दल टिपरा मोथा और कांग्रेस इससे दूर रहे हैं। फरवरी में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार के तौर पर हार गए तफज्जल हुसैन अल्पसंख्यक बहुल बॉक्सानगर निर्वाचन क्षेत्र में माकपा के मिजान हुसैन से मुकाबला करेंगे। इस सीट को अभी भी वाम दलों का गढ़ माना जाता है। कभी वामपंथियों का मजबूत गढ रहा धनपुर में भाजपा की ¨बदु देबनाथ का मुकाबला माकपा के कौशिक देबनाथ के साथ है। झारखंड की डुमरी सीट पर विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की उम्मीदवार बेबी देवी का सीधा मुकाबला राजग प्रत्याशी यशोदा देवी से है। उत्तराखंड में भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर है। सत्तारूढ भाजपा ने सीट बरकरार रखने के लिए पार्वती दास को मैदान में उतारा है। इस सीट से 2007 से लगातार चार बार उनके पति चंदन दास ने जीत हासिल की थी और उनकी मृत्यु के कारण उपचुनाव की आवश्यकता पड़ी।