राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने दिल्ली प्रदूषण नियंतण्रसमिति (डीपीसीसी) को दिल्ली के गाजीपुर बूचड़खाने में पर्यावरण संबंधी मानदंडों का उल्लंघन करने की जांच करने को कहा है। साथ ही उससे वहां की कमियों को दूर किए जाने के बाद फिर से जांच कर उसकी आठ सप्ताह के भीतर नई रिपोर्ट दाखिल करे। पीठ ने इसके साथ ही सुनवाई 15 जनवरी के लिए स्थगित कर दी।
एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव एवं सदस्य डा. ए. सेंथिल वेल की पीठ ने कहा कि संयुक्त निरीक्षण रिपोर्ट से पता चला है कि जानवरों के काटे जाने के बाद बूचड़खाने से निकले कचड़े को बिना प्रसंस्कृत किए यमुना में प्रवाहित किया जा रहा है। संयुक्त निरीक्षण रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि जल गुणवत्ता और माइक्रोबायोलाजी विश्लेषण रिपोर्ट कोलीफॉर्म की उपस्थिति को इंगित करता है। उपरोक्त आलोक में उस सबको दूर करने के चार सप्ताह बाद संयुक्त समिति निरीक्षण करेगी और मौके पर पाए गए पर्यावरणीय मानदंडों के अनुपालन की स्थिति का अपने रिपोर्ट में खुलासा करेगी।
एनजीटी ने उक्त टिप्पणियां निष्पादन आवेदन के जवाब में की है जिसमें संयुक्त समिति द्वारा की गई सिफारिशों और उसकी रिपोर्ट पर विचार करने के बाद एनजीटी के पहले के आदेश के अनुपालन में कुछ कमियां पाई गई। वर्तमान कार्यवाही में डीपीसीसी की पेश रिपोर्ट में कमियों की पहचान की गई है। जैसे बायो मीथेनेशन संयंत्र के नहीं रहने से रु मेन, पेट और आंतों की सामग्री, गोबर, कृषि अवशेष आदि पाए गए हैं।