नयी दिल्ली। राज्यसभा में मंगलवार को विभिन्न दलों के सदस्यों ने जल प्रदूषण को लेकर गहरी चिंता जताते हुए सरकार से इसे रोकने के लिए समुचित कदम उठाने का सुझाव दिया और कहा कि उद्योगों को अपनी जरूरतों के अनुसार पानी का प्रयोग करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि उसके माध्यम से जल संदूषण नहीं हो। उच्च सदन में जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) संशोधन विधेयक 2024 पर चर्चा के दौरान यह बात कही गयी। इससे पहले विधेयक को चर्चा एवं पारित करने के लिए पेश करते हुए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने कहा कि यह विधेयक पर्यावरण की सुरक्षा करेगा।
उन्होंने कहा कि साथ ही इसमें उद्योगपतियों के लिए सजा के बजाय जुर्माने का प्रावधान किया गया है और जुर्माने की यह राशि पर्यावरण संरक्षण कोष में डाली जाएगी तथा पर्यावरण संरक्षण के लिए खर्च की जाएगी। उन्होंने कहा कि इस विधेयक में आपराधिक प्रावधानों को तर्कसंगत बनाने और यह सुनिश्चित करने का प्रस्ताव है कि नागरिक, व्यवसाय और कंपनियां मामूली, तकनीकी या प्रक्रियात्मक चूक के लिए कारावास की सजा के डर के बिना काम करें। विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए भारतीय जनता पार्टी के डॉ लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने कहा कि उद्योगपतियों की मांग रही है कि उन्हें उद्योग लगाने में सुगमता हो और वे आसानी से काम कर सकें। यह विधेयक इसी दिशा में उठाया गया एक कदम है। उन्होंने कहा ‘‘विधेयक में ‘कारोबार की सुगमता’ को ध्यान में रखा गया है।’’
बाजपेयी ने कहा कि विधेयक के अनुसार, नियामक एजेंसी भी दबाव रहित होगी और आसानी से काम कर सकेगी। उन्होंने कहा कि विधेयक के अनुसार, केंद्र सरकार किसी भी उद्योग, संचालन या प्रक्रिया या उपचार और निपटान प्रणाली की स्थापना या नए या परिवर्तित संस्थान को उपयोग में लाने के लिए किसी भी राज्य बोर्ड द्वारा सहमति देने, इनकार करने या रद्द करने से संबंधित मामलों पर दिशानिर्देश जारी कर सकती है। तृणमूल कांग्रेस के जवाहर सरकार ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि विधेयक में खनन जैसे मुद्दे पर कुछ भी नहीं कहा गया है जबकि यह गंभीर मुद्दा है। उन्होंने कहा ‘‘दबाव डालकर प्रशासन नहीं चलाया जा सकता।’’
उन्होंने कहा कि जो लोग नियमों का उल्लंघन करते हैं, उन पर इस विधेयक से कोई रोक नहीं लग पाएगी। उन्होंने कहा कि यह विधेयक हर बात को केंद्रीयकृत करने की प्रवृत्ति का ही हिस्सा है। बीजू जनता दल की सुलता देव ने कहा कि सरकार को इस बारे में भी उपाय करना चाहिए कि हमारा पेयजल संदूषित न होने पाए। उन्होंने मांग की कि इसके लिए सरकार को एक समिति बनानी चाहिए और उसमें विशेषज्ञों को शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उद्योगों में पानी की खपत की जाती है अत: सरकार को यह पता लगाना चाहिए कि उन्हें वास्तव में कितने पानी की जरूरत है और वे कितना पानी ले रहे हैं। ‘‘यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि पानी व्यर्थ न जाने पाए।’’