
ST.News Desk, New Delhi : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने चार प्रतिष्ठित हस्तियों को राज्यसभा के लिए नामित किया है, जिनमें प्रमुख हैं पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला और प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ. मीनाक्षी जैन। इस नामांकन की सिफारिश केंद्र सरकार की ओर से की गई, जिसे गृह मंत्रालय ने शनिवार को गजट अधिसूचना के जरिए सार्वजनिक किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोनों व्यक्तित्वों की प्रशंसा करते हुए उन्हें “देश के लिए प्रेरणास्रोत” बताया।

कसाब को फांसी की सजा दिलाने वाले दिग्गज वकील उज्ज्वल निकम को राष्ट्रपति मुर्मू ने राज्यभा के लिए मनोनीत किया
26/11 आतंकी हमले के आरोपी कसाब को फांसी की सजा दिलाने वाले दिग्गज वकील उज्ज्वल निकम को राष्ट्रपति मुर्मू ने राज्यभा के लिए मनोनीत किया है। उन्हें यह सम्मान कानूनी जगत में उनके बेहतरीन योगदान के लिए दिया गया है। इससे पहले भाजपा ने 2024 के लोगसभा चुनाव में उन्हें पूनम महाजन का टिकट काटकर मुंबई नॉर्थ सेंट्रल सीट से अपना उम्मीदवार बनाया था। हालांकि तब उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। अब राष्ट्रपति मुर्मू ने कानूनी क्षेत्र में उनके योगदान को इस खास तरह से सराहा है।उज्जवल निकम का जन्म मार्च 1953 में महाराष्ट्र के जलगांव में हुआ था। उनके पिता देवरावजी निकम भी कानूनी पेशे से जुड़े थे। उन्होंने बतौर बैरिस्टर और जज काम किया। निकम ने पुणे विश्वविद्यालय से बीएसी की डिग्री ली। इसके बाद उन्होंने जलगांव के एसएस मनियार लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई की।
हर्षवर्धन श्रृंगला: कूटनीति के अग्रदूत भारतीय विदेश सेवा के 1984 बैच के अधिकारी हर्षवर्धन श्रृंगला ने 35 वर्षों के कूटनीतिक करियर में भारत को वैश्विक मंचों पर सशक्त रूप से प्रस्तुत किया है।
उनके प्रमुख योगदान:
भारत के विदेश सचिव (2020-22) के तौर पर कोविड-19, भारत-चीन सीमा तनाव, और वैश्विक भू-राजनीतिक अस्थिरता जैसे समयों में रणनीतिक विदेश नीति का संचालन किया।
भारत के राजदूत रहे अमेरिका, बांग्लादेश, थाईलैंड में। संयुक्त राष्ट्र (न्यूयॉर्क), यूनेस्को (पेरिस), इस्राइल, दक्षिण अफ्रीका और वियतनाम में उच्च पदस्थ जिम्मेदारियाँ निभाईं। G-20 शिखर सम्मेलन 2023 में भारत की मेजबानी की तैयारी के लिए उन्हें मुख्य समन्वयक बनाया गया। श्रृंगला सेंट स्टीफन कॉलेज से स्नातक हैं और विदेशी सेवा में आने से पहले उन्होंने कॉर्पोरेट व सार्वजनिक क्षेत्र में भी कार्य अनुभव हासिल किया।
अब राज्यसभा में, वे भारत की विदेश नीति, रणनीतिक संबंधों और वैश्विक दृष्टिकोण पर मूल्यवान योगदान देने की उम्मीद हैं। डॉ. मीनाक्षी जैन: इतिहास की प्रामाणिक आवाज भारतीय संस्कृति, परंपरा और मंदिर इतिहास पर केंद्रित शोध के लिए ख्यात इतिहासकार डॉ. मीनाक्षी जैन को वर्ष 2020 में पद्मश्री सम्मान प्राप्त हुआ था।
उनके शैक्षणिक और शोध योगदान: गर्गी कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय में इतिहास की एसोसिएट प्रोफेसर रहीं। नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी की फेलो और इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टॉरिकल रिसर्च की गवर्निंग काउंसिल सदस्य भी रहीं। वर्तमान में वे इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च की सीनियर फेलो हैं।
उनकी प्रमुख पुस्तकें:
‘राम और अयोध्या’
‘दि बैटल फॉर राम’
‘सती’
‘फ्लाइट ऑफ डीटीज एंड रिबर्थ ऑफ टेम्पल्स’
इन सभी ग्रंथों में उन्होंने भारतीय धर्म, समाज और सांस्कृतिक परंपराओं को ऐतिहासिक तथ्यों और साक्ष्यों के साथ गहराई से प्रस्तुत किया है। मंदिर परंपरा और मूर्ति पूजा पर उनके व्याख्यानों में उन्होंने प्राचीन भारत के पुरातात्विक प्रमाणों को आधुनिक संदर्भ में व्याख्यायित किया है।
