
लोक भवन में मीडिया को संबोधित करते हुए राज्यमंत्री संदीप सिंह ने बताया कि बीते आठ वर्षों में यूपी के परिषदीय स्कूलों की हालत में काफी सुधार हुआ है
ST.News Desk, New Delhi : उत्तर प्रदेश में कम नामांकन वाले सरकारी स्कूलों के विलय को लेकर बढ़ते विरोध के बीच राज्य सरकार ने महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। अब ऐसे स्कूल जिनकी दूरी एक किलोमीटर से अधिक है, या जहां विद्यार्थियों की संख्या 50 से अधिक है, उनका विलय नहीं किया जाएगा। यह आदेश राज्य के बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री संदीप सिंह ने दिया है।

विरोध और शिकायतों के बाद लिया गया फैसला
प्रदेश भर में शिक्षक संगठनों और अभिभावकों ने स्कूल विलय नीति का विरोध किया था। कई मामलों में शिकायतें आई थीं कि विलय के बाद छात्रों को नए स्कूल तक पहुंचने में काफी कठिनाई हो रही है। इन्हीं समस्याओं को ध्यान में रखते हुए सरकार ने यह अहम निर्णय लिया है। लोक भवन में मीडिया को संबोधित करते हुए राज्यमंत्री संदीप सिंह ने बताया कि बीते आठ वर्षों में यूपी के परिषदीय स्कूलों की हालत में काफी सुधार हुआ है। उन्होंने कहा, “सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले। 2017 के बाद से स्कूलों में मूलभूत सुविधाएं जैसे पीने का पानी, शौचालय आदि 96% स्कूलों में उपलब्ध कराई गई हैं।”
अन्य राज्यों में पहले ही हो चुका है स्कूल विलय
राज्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि उत्तर प्रदेश इस प्रकार की स्कूल पेयरिंग या विलय करने वाला पहला राज्य नहीं है। राजस्थान में 2014 में 20,000 स्कूलों का विलय किया गया। मध्य प्रदेश में 2018 में पहले चरण में 36,000 स्कूल और 16,000 समेकित परिसर बनाए गए। उड़ीसा में 2018-19 में 1,800 स्कूलों को जोड़ा गया। हिमाचल प्रदेश में 2022 व 2024 में चरणबद्ध तरीके से विलय प्रक्रिया पूरी की गई।
69 हजार शिक्षक भर्ती पर सरकार कोर्ट के फैसले के साथ 69000 शिक्षक भर्ती में आरक्षण से जुड़े मुद्दे पर पूछे जाने पर संदीप सिंह ने कहा, “हम सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का पूर्ण रूप से पालन करेंगे। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को किसी भी तरह प्रभावित नहीं कर सकती। अब शिक्षक खुद पढ़ा रहे हैं, पहले की तरह दूसरों से पढ़वाना बंद हुआ है।” शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के उद्देश्य से उठाए जा रहे कदमों में सरकार अब ज़मीनी वास्तविकताओं को भी ध्यान में रख रही है। स्कूलों का विलय अब और अधिक विवेकपूर्ण ढंग से होगा, जिससे छात्रों और अभिभावकों को असुविधा न हो।
