
ST.News Desk : भारतीय चुनाव आयोग (ECI) ने मंगलवार को जन सुराज पार्टी के संस्थापक और चुनावी रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर को नोटिस जारी किया है। यह कार्रवाई उनके नाम के बिहार और पश्चिम बंगाल — दोनों राज्यों की मतदाता सूची में दर्ज पाए जाने के आरोपों के बाद की गई है।

‘द इंडियन एक्सप्रेस’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रशांत किशोर का नाम कोलकाता (पश्चिम बंगाल) और कराहगर (बिहार) — दोनों जगहों की मतदाता सूचियों में दर्ज पाया गया है। पश्चिम बंगाल की मतदाता सूची में उनका पता 121 कालीघाट रोड, कोलकाता बताया गया है — यह वही पता है जो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भवानीपुर निर्वाचन क्षेत्र में स्थित तृणमूल कांग्रेस कार्यालय का है।
चुनाव आयोग का नोटिस
चुनाव आयोग ने रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए नोटिस में कहा, “प्रशांत किशोर का नाम निर्मल हृदय विद्यालय, बीडन स्ट्रीट, कोलकाता की मतदाता सूची में दर्ज है और साथ ही बिहार के 209-कराहगर विधानसभा क्षेत्र (भाग संख्या 767, क्रम संख्या 621) में भी मतदाता पहचान पत्र IUJ1323718 के साथ दर्ज पाया गया है।”
आयोग ने यह भी याद दिलाया कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 17 के तहत कोई भी व्यक्ति एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाता के रूप में पंजीकृत नहीं हो सकता। इस नियम का उल्लंघन उसी अधिनियम की धारा 31 के अंतर्गत दंडनीय अपराध है।
क्या कहता है कानून?
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 17 स्पष्ट रूप से यह प्रावधान करती है कि “कोई भी व्यक्ति एक समय में एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाता के रूप में पंजीकृत नहीं रह सकता।” यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर ऐसा करता है, तो धारा 31 के तहत उस पर जुर्माना या अन्य कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
बिहार चुनाव की पृष्ठभूमि : गौरतलब है कि प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में अपने प्रत्याशी मैदान में उतार रही है। ऐसे में दो राज्यों की मतदाता सूची में उनका नाम होना चुनाव आयोग की दृष्टि में एक गंभीर मामला माना जा रहा है।
आगे क्या?- आयोग ने प्रशांत किशोर से निर्धारित समय सीमा के भीतर जवाब देने को कहा है। आयोग के एक अधिकारी के अनुसार, “यदि यह पाया गया कि यह नामांकन जानबूझकर किया गया था, तो आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाएगी।”

