
आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस, संधियों पर पुनर्विचार और कूटनीतिक मोर्चे पर निर्णायक कार्रवाई, मोदी सरकार की प्राथमिकताएं हैं
ST.News Desk, नई दिल्ली : विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने राज्यसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर विशेष चर्चा के दौरान पाकिस्तान, आतंकवाद और सिंधु जल संधि को लेकर मोदी सरकार की स्पष्ट और सख्त नीति को दोहराया। उन्होंने पहलगाम हमले को “पूरी तरह अस्वीकार्य” बताया और कहा कि “लक्ष्मण रेखा लांघी जा चुकी है।” जयशंकर ने संसद में कहा, “मैं उनको कहना चाहता हूं, वो कान खोलकर सुन लें – 22 अप्रैल से 16 जून तक, राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी के बीच कोई फोन कॉल नहीं हुआ।” उनका यह बयान उन भ्रामक दावों का जवाब माना जा रहा है, जिनमें भारत-अमेरिका संबंधों को लेकर अफवाहें फैलाई गई थीं।

सिंधु जल संधि स्थगन: ऐतिहासिक भूलों की समीक्षा
सिंधु जल संधि को लेकर विदेश मंत्री ने कहा कि यह एक “असाधारण समझौता” था, जिसमें भारत ने अपनी प्रमुख नदियों का नियंत्रण पाकिस्तान को बिना किसी अधिकार के सौंप दिया था। उन्होंने दो टूक कहा, “खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते। जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं करता, सिंधु जल संधि स्थगित रहेगी।” जयशंकर ने कहा कि यह निर्णय केवल कूटनीतिक नहीं, बल्कि ऐतिहासिक रूप से जरूरी था। “नेहरू की नीतियों की गलतियों को मोदी सरकार ने सुधारा है।”
आतंकवाद पर भारत की कूटनीतिक विजय
विदेश मंत्री ने बीते दशक की कूटनीतिक उपलब्धियों को गिनाते हुए बताया कि भारत आतंकवाद को वैश्विक एजेंडे में लाने में सफल रहा है, चाहे वह ब्रिक्स, एससीओ, क्वाड या द्विपक्षीय मंच हों। भारत ने मसूद अजहर और अब्दुल रहमान मक्की को संयुक्त राष्ट्र की आतंकवादी सूची में शामिल करवाया। भारत मुंबई हमलों के दोषी तहव्वुर राणा को अमेरिका से वापस लाने में सफल रहा। रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) को भारत की कूटनीति के चलते अमेरिका ने आतंकवादी संगठन घोषित किया जिससे यह स्पष्ट हुआ कि TRF, लश्कर-ए-तैयबा का ही प्रतिनिधि है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा, “भारत अब मध्यस्थता के लिए तैयार नहीं है और न ही परमाणु ब्लैकमेल को स्वीकार करेगा।”
