crossorigin="anonymous"> 'शीश महल' से 'माया महल' तक: दिल्ली में सीएम आवास पर फिर गरमाई सियासत - Sanchar Times

‘शीश महल’ से ‘माया महल’ तक: दिल्ली में सीएम आवास पर फिर गरमाई सियासत

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रेखा गुप्ता के सरकारी आवास पर आम आदमी पार्टी की ‘माया महल’ राजनीति, BJP ने बताया निराधार हमला


ST.News Desk : नई दिल्ली: दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को राजधानी में सरकार के 100 दिन पूरे होने के बाद एक सरकारी आवास आवंटित किया गया है, जिसे लेकर आम आदमी पार्टी ने सियासी हमला तेज कर दिया है। पार्टी ने इसे “माया महल” करार देते हुए खर्चों और सुविधाओं को लेकर सवाल उठाए हैं।

आप नेता मनीष सिसोदिया और विधायक अनिल झा ने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री को दो बंगले – 1/8 और 2/8, राज निवास मार्ग – आवंटित किए जा सकते हैं, जिनमें से प्रत्येक में 15 कमरे हैं और जिनके नवीनीकरण का कार्य पहले ही आरंभ हो चुका है। हालांकि, इस मुद्दे पर अभी तक दिल्ली सरकार या भाजपा की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।

रेखा गुप्ता अभी तक पारिवारिक आवास में ही रह रही हैं

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री बनने के बाद से रेखा गुप्ता शालीमार बाग स्थित अपने निजी आवास में ही रह रही थीं। राजनिवास मार्ग पर आवंटित बंगले को लेकर हो रही राजनीति को भाजपा समर्थकों ने “आवश्यक प्रोटोकॉल के तहत सामान्य प्रक्रिया” बताया है।

‘शीश महल’ विवाद की याद दिला रहे लोग

विपक्ष के आरोपों के बीच भाजपा समर्थकों ने पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के 6, फ्लैगस्टाफ रोड स्थित सरकारी आवास को याद दिलाया, जिसे लेकर “शीश महल” विवाद खड़ा हुआ था। उस समय आम आदमी पार्टी की सरकार पर बंगले की साज-सज्जा में करोड़ों रुपए खर्च करने का आरोप लगा था।

राजनीति बदलने का वादा, खुद राजनीति में रंग गए: केजरीवाल पर कटाक्ष

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जिस आम आदमी पार्टी ने “सादगी” और “ईमानदार राजनीति” का वादा कर सत्ता में कदम रखा था, वही अब भाजपा की मुख्यमंत्री पर उसी तरह के आरोप लगा रही है, जो कभी उसके खिलाफ लगाए जाते थे। आलोचकों का कहना है कि आंदोलन की उपज रही आप अब उसी राजनीतिक शैली का पालन कर रही है जिसका उसने विरोध किया था।

विपक्ष का अधिकार, लेकिन तर्कसंगत हो सवाल

राजनीतिक हलकों में यह भी चर्चा है कि विपक्ष को मुख्यमंत्री से सवाल पूछने का पूरा अधिकार है, लेकिन उन सवालों का कोई तथ्यों पर आधारित आधार भी होना चाहिए। महज “माया महल” जैसे शब्दों का उपयोग कर राजनीति करना अब जनता को भ्रमित नहीं कर पाएगा, क्योंकि अब मतदाता राजनीतिक गंभीरता और जवाबदेही की मांग कर रहा है।


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