सम्मेलन के दौरान जहां विश्व ने भारत की कला-संस्कृति, इतिहास, सभ्यता, लोकतंत्र और विकास को करीब से देखा वहीं आधुनिकता की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहे भारत के नवीन आविष्कारों को भी जाना। खासतौर पर इस सम्मेलन के दौरान विदेशी प्रतिनिधियों को भारतीय लोकाचार और संस्कृति तथा गौरवशाली इतिहास से रूबरू कराने के लिए प्रधानमंत्री ने जो प्रयास किये थे उनको काफी सराहा गया। इस सम्मेलन के सफल आयोजन ने विश्व भर में मोदी को एक बड़े कूटनीतिज्ञ के रूप में भी स्थापित कर दिया है।
आज जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी20 शिखर सम्मेलन का समापन कर रहे थे तब उनके चेहरे पर संतोष के भाव तो थे ही साथ ही और भी कुछ कर दिखाने का जज्बा उनमें साफ दिखाई दे रहा था। इसलिए उन्होंने शिखर सम्मेलन में लिए गए फैसलों पर हुई प्रगति की समीक्षा के वास्ते नवंबर के अंत में एक वर्चुअल सत्र के आयोजन का प्रस्ताव दिया। दो दिवसीय जी20 शिखर सम्मेलन के अंतिम सत्र में अपने समापन भाषण में मोदी ने कहा कि भारत की जी20 की अध्यक्षता आधिकारिक रूप से 30 नवंबर तक जारी रहेगी और समूह के अध्यक्ष के रूप में उसके कार्यकाल में ढाई महीने से ज्यादा का वक्त बाकी है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘पिछले दो दिन में आपने अपने विचार रखे, सुझाव दिए और कई प्रस्ताव रखे गए। यह हमारी जिम्मेदारी है कि जो सुझाव सामने आए हैं, उन पर बारीकी से गौर किया जाए कि उन्हें कैसे गति दी जा सकती है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मेरा प्रस्ताव है कि हमें नवंबर अंत में जी20 के वर्चुअल सत्र का आयोजन करना चाहिए। उस सत्र में, हम उन मुद्दों की समीक्षा कर सकते हैं, जिन पर इस शिखर सम्मेलन के दौरान सहमति बनी थी। हमारे दल इसका विवरण सभी के साथ साझा करेंगे। मैं उम्मीद करता हूं कि आप सभी इसमें (सत्र में) शामिल होंगे।’’ मोदी ने कहा, ‘‘इसके साथ ही मैं जी20 शिखर सम्मेलन के समापन की घोषणा करता हूं।’’ उन्होंने संस्कृत के एक श्लोक का संदर्भ देते हुए पूरे विश्व में शांति एवं सौहार्द की प्रार्थना की। इससे पहले, समापन सत्र में मोदी ने ब्राजील को जी20 की अध्यक्षता हस्तांतरित करते हुए पारंपरिक गैवल (एक प्रकार का हथौड़ा) सौंपा और उसे शुभकामनाएं दीं। ब्राजील आधिकारिक रूप से इस साल एक दिसंबर को जी20 समूह के अध्यक्ष का कार्यभार संभालेगा।
इसके अलावा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र सहित अन्य वैश्विक निकायों में सुधारों पर नये सिरे से जोर देते हुए कहा कि विश्व निकाय के सदस्य देशों में वृद्धि के बावजूद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में स्थायी सदस्यों की संख्या नहीं बढ़ी है। जी20 शिखर सम्मेलन के ‘‘एक भविष्य’’ सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया की ‘नयी वास्तविकताओं’ को ‘नयी वैश्विक संरचना’ में प्रतिबिंबित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब संयुक्त राष्ट्र की स्थापना 51 सदस्यों के साथ हुई थी, तो दुनिया अलग थी। मोदी ने कहा कि अब सदस्य देशों की संख्या लगभग 200 हो गई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह प्रकृति का नियम है कि जो समय के साथ नहीं बदलते, वे अपनी प्रासंगिकता खो देते हैं। मोदी ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी सामाजिक व्यवस्था और मौद्रिक एवं वित्तीय स्थिरता के लिए एक नया विषय है। उन्होंने इसे विनियमित करने के लिए वैश्विक मानक निर्धारित किए जाने की मांग की।
जहां तक जी20 संयुक्त घोषणापत्र की बात है तो वह मोदी सरकार की बहुत बड़ी कामयाबी के रूप में देखा जा रहा है। घोषणापत्र पर नजर दौड़ाएंगे तो पता चलेगा कि यूक्रेन संघर्ष पर जी20 नेताओं के घोषणापत्र का सार ‘‘विभाजनकारी आम सहमति’’ के बजाय ‘‘समान राय वाली आम सहमति’’ है और यह संकट के समाधान का रास्ता दिखा सकता है। देखा जाये तो ‘नयी दिल्ली जी20 लीडर्स डिक्लेरेशन’ (घोषणापत्र) पर सदस्य देशों के बीच पूरी तरह से सर्वसम्मति बनना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘‘गांरटी और जादू’’ का संयोजन भी है। हम आपको बता दें कि भारत, यूक्रेन संघर्ष के विवादित मुद्दे पर जी20 देशों के बीच अभूतपूर्व आम सहमति बनाने में कामयाब रहा है और उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं जैसे कि ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और इंडोनेशिया ने इसमें अग्रणी भूमिका निभाई है। देखा जाये तो जी20 घोषणापत्र में आम सहमति की प्रकृति को देखना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह (घोषणापत्र) वास्तव में विभिन्न मुद्दों पर ‘‘47 उप-आम सहमति’’ को दर्शाता है।
दूसरी ओर, वैश्विक नेताओं की प्रतिक्रियाओं की बात करें तो आपको बता दें कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि इस साल के जी20 शिखर सम्मेलन ने साबित कर दिया है कि यह समूह अपने सबसे अहम मुद्दों का अब भी समाधान निकाल सकता है। बाइडन ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘जब वैश्विक अर्थव्यवस्था जलवायु संकट, नाजुक स्थिति और संघर्ष से जूझ रही है, ऐसे समय में इस साल के शिखर सम्मेलन ने साबित कर दिया कि जी20 अब भी हमारे सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों का समाधान निकाल सकता है।’’ हम आपको बता दें कि अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में भारत की अपनी पहली यात्रा के तहत बाइडन दो दिवसीय जी20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी पहुंचे थे और उन्होंने उसी दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ द्विपक्षीय वार्ता की थी। अपनी 50 मिनट से अधिक की बातचीत में मोदी और बाइडन ने द्विपक्षीय रक्षा साझेदारी को और प्रगाढ़ करने तथा विविध स्वरूप देने का संकल्प लिया। उन्होंने भारत द्वारा 31 ड्रोन की खरीद और जेट इंजन को मिलकर विकसित करने की दिशा में आगे बढ़ने का स्वागत किया। बाइडन ने शनिवार को जी20 शिखर सम्मेलन के मुख्य सत्रों में भी भाग लिया। शिखर सम्मेलन में भाग लेने आए बाइडन, महात्मा गांधी के समाधि स्थल राजघाट पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद रविवार सुबह वियतनाम रवाना हो गए।
दूसरी ओर, रूस ने कहा है कि भारत की अध्यक्षता में जी20 शिखर सम्मेलन कई मायनों में महत्वपूर्ण सम्मेलन है, क्योंकि इसके नतीजों ने दुनिया को कई चुनौतियों पर आगे बढ़ने का रास्ता दिखाया और ‘ग्लोबल साउथ’ की ताकत और महत्व का प्रदर्शन किया। हम आपको बता दें कि ‘ग्लोबल साउथ’ शब्द का इस्तेमाल अक्सर विकासशील और अल्प विकसित देशों के लिए किया जाता है, जो मुख्य रूप से अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका में स्थित हैं। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने एक प्रेस वार्ता में कहा कि भारत ने यूक्रेन सहित कई मुद्दों पर पश्चिमी देशों को अपना दृष्टिकोण आगे बढ़ाने से रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हम आपको बता दें कि शिखर सम्मेलन के घोषणापत्र ने स्पष्ट रूप से एक संदेश दिया कि दुनिया में सैन्य संघर्षों को संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुसार हल किया जाना चाहिए और पश्चिमी शक्तियां विभिन्न संकटों के समाधान की अपनी अवधारणाओं के साथ आगे नहीं बढ़ पाएंगी। रूसी विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘यह कई मायनों में महत्वपूर्ण शिखर सम्मेलन है। यह हमें कई मुद्दों पर आगे बढ़ने का रास्ता प्रदान करता है।’’ लावरोव ने यह भी कहा कि नयी दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन ने वैश्विक प्रशासन और वैश्विक वित्त में निष्पक्षता की दिशा में भी एक दिशा प्रदान की है। रूस के विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘मैं जी20 के राजनीतिकरण के प्रयासों को रोकने के लिए भारत के प्रति अपना आभार व्यक्त करना चाहता हूं। पश्चिमी देशों का आधिपत्य नहीं कायम हो पाएगा, क्योंकि हम दुनिया में सत्ता के नये केंद्र उभरते हुए देख रहे हैं।’’ जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों पर लावरोव ने कहा कि पश्चिमी शक्तियों ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए विकासशील देशों को सालाना 100 अरब अमेरिकी डॉलर प्रदान करने के अपने वादे पर कुछ नहीं किया है।
इसके अलावा, ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डी सिल्वा ने उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के हितों से जुड़े मुद्दों को आवाज देने के लिए भारत की सराहना की। लूला डी सिल्वा ने सामाजिक समावेशन, भूख के खिलाफ लड़ाई, ऊर्जा परिवर्तन और सतत विकास को जी20 की प्राथमिकताओं के रूप में सूचीबद्ध किया। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को अपनी राजनीतिक ताकत बरकरार रखने के लिए स्थायी और गैर-स्थायी सदस्यों के रूप में नये विकासशील देशों की आवश्यकता है। ब्राजील के राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हम विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में विकासशील देशों के लिए अधिक प्रतिनिधित्व चाहते हैं।’’
हम आपको यह भी बता दें कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस सहित जी20 नेताओं ने रविवार सुबह महात्मा गांधी के समाधि स्थल राजघाट पर पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राजघाट पर जी20 नेताओं की अगवानी की। उन्होंने जी20 नेताओं को ‘अंगवस्त्रम’ पहनाकर उनका स्वागत किया। इस दौरान, पृष्ठभूमि में ‘साबरमती आश्रम’ का चित्र दिखाई दिया, जो 1917 से 1930 तक महात्मा गांधी का निवास स्थान था और जिसने स्वतंत्रता संग्राम के मुख्य केंद्रों में से एक के रूप में काम किया। जी20 नेताओं ने महात्मा गांधी की समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इस दौरान, मोदी और सुनक सहित कुछ नेता नंगे पैर चलते नजर आए, जबकि अन्य को राजघाट पर आगंतुकों को प्रदान किए गए सफेद जूते पहने देखा गया। प्रधानमंत्री जी20 नेताओं को साबरमती आश्रम के महत्व के बारे में समझाते नजर आए। मोदी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर जारी एक पोस्ट में कहा कि प्रतिष्ठित राजघाट पर जी20 परिवार ने शांति, सेवा, करुणा और अहिंसा के प्रतीक महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने लिखा, “अलग-अलग राष्ट्र जैसे-जैसे एकजुट हो रहे हैं, गांधी जी के शाश्वत आदर्श एक सामंजस्यपूर्ण, समावेशी और समृद्ध वैश्विक भविष्य के लिए हमारी सामूहिक दृष्टि का मार्गदर्शन कर रहे हैं।”