crossorigin="anonymous"> राजस्थान में फिर गरमाया गुर्जर आंदोलन, भरतपुर के पीलूपुरा में महापंचायत का आयोजन - Sanchar Times

राजस्थान में फिर गरमाया गुर्जर आंदोलन, भरतपुर के पीलूपुरा में महापंचायत का आयोजन

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रेलवे ट्रैक पर प्रदर्शन, हाईवे जाम


ST.News Desk : राजस्थान में एक बार फिर गुर्जर आरक्षण आंदोलन की आहट तेज हो गई है। भरतपुर जिले के पीलूपुरा गांव में रविवार को गुर्जर समुदाय की एक महापंचायत का आयोजन किया गया, जहां राज्य सरकार द्वारा दिए गए मसौदे पर चर्चा हुई, लेकिन युवाओं ने असंतोष जताते हुए आंदोलन को जारी रखने की बात कही।

महापंचायत का नेतृत्व गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष विजय बैंसला कर रहे हैं, जो वरिष्ठ गुर्जर नेता कर्नल केएस बैंसला के पुत्र हैं। यह वही क्षेत्र है, जहां बीते दो दशकों में गुर्जर समुदाय ने कई बार बड़े आंदोलन किए हैं।

रेलवे ट्रैक पर प्रदर्शन, हाईवे जाम

आरक्षण को लेकर समुदाय के असंतोष ने रविवार को सड़क और रेल यातायात को भी प्रभावित किया। प्रदर्शनकारियों ने रेलवे ट्रैक को अवरुद्ध कर दिया। हिंडौन-बयाना स्टेट हाईवे के पास भीड़ जुटने से यातायात बाधित हुआ। प्रशासन ने बयाना-हिंडौन हाईवे की बजाय वैकल्पिक मार्गों से यातायात को डायवर्ट किया।

सरकार से असंतोष, बातचीत से इनकार, महापंचायत में विजय बैंसला ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “हमें अधूरे अधिकार मिले हैं, हमें उन्हें पूरी तरह से हासिल करना है।”

उन्होंने यह भी कहा कि “अब हम सरकार से बातचीत के लिए नहीं जाएंगे। सरकार को किसी सक्षम आईएएस अधिकारी के माध्यम से पत्र भेजना चाहिए।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अगर कोई प्रस्ताव या मसौदा भेजा जाता है, तो उसे सार्वजनिक रूप से सभा में पढ़ा जाएगा, और निर्णय वहीं लिया जाएगा।

सरकार का रुख और प्रतिक्रिया

राज्य के गृह राज्य मंत्री जवाहर बेढम ने महापंचायत पर सवाल उठाते हुए कहा, “जब सरकार बातचीत के लिए तैयार है, तो फिर महापंचायत क्यों की जा रही है?” हालांकि, अब तक सरकार और गुर्जर समुदाय के बीच औपचारिक वार्ता की कोई जानकारी सामने नहीं आई है।

गुर्जर समुदाय लंबे समय से आरक्षण की पूर्णता, सरकारी नौकरियों और शैक्षिक संस्थानों में अवसर, और आंदोलनकारियों पर दर्ज मुकदमों की वापसी जैसी मांगों को लेकर संघर्ष करता रहा है। कई बार इस आंदोलन ने राज्य में राजनीतिक अस्थिरता और प्रशासनिक चुनौतियां खड़ी की हैं।

नजरें अब प्रशासन के अगले कदम पर राज्य सरकार को अब यह तय करना होगा कि वह इस आंदोलन को कैसे संभाले — संवाद की पहल करके या कानून व्यवस्था के जरिए स्थिति नियंत्रित कर। गुर्जर आंदोलन की यह नई लहर राजस्थान की राजनीति और प्रशासन के लिए एक अहम परीक्षा बन सकती है।


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