
ST.News Desk : 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। आतंकियों ने हनीमून पर आए मासूम पर्यटकों को निशाना बनाया, पुरुषों की धर्म पूछकर गोली मार दी गई और उनकी पत्नियों से कहा गया — “जाकर मोदी को बताओ”। यह हमला न सिर्फ शारीरिक रूप से, बल्कि भावनात्मक रूप से भारत की आत्मा पर हमला था।

हिंदू संस्कृति में विवाहित महिलाओं की मांग में लगाया गया सिंदूर उनके पति की लंबी उम्र और उनके साथ के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। आतंकियों की गोलियों ने इसी सिंदूर को निशाना बनाते हुए न सिर्फ पति को छीन लिया, बल्कि स्त्रियों के जीवन की शांति भी छीन ली। इस क्रूर हमले में 26 निर्दोष नागरिक मारे गए थे।
पूरा देश बदले की आग में जल उठा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट कहा था कि इस बार का जवाब कल्पना से परे होगा। अब भारतीय सशस्त्र बलों ने उसी वादे को पूरा करते हुए “ऑपरेशन सिंदूर” को अंजाम दिया है। सूत्रों के अनुसार, इस जवाबी कार्रवाई का नाम खुद प्रधानमंत्री मोदी ने चुना — यह उन विधवाओं के सिंदूर की याद में रखा गया है, जिन्हें आतंकियों ने छीन लिया।
मंगलवार देर रात भारतीय वायुसेना और सेना के संयुक्त ऑपरेशन में पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में स्थित नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया। इनमें जैश-ए-मोहम्मद के बहावलपुर स्थित गढ़ और लश्कर-ए-तैयबा का अड्डा मुरीदके शामिल हैं।
इस सर्जिकल जवाबी कार्रवाई को “ऑपरेशन सिंदूर” के नाम से इतिहास में याद किया जाएगा — एक ऐसा नाम जो शहादत, आंसुओं और भारत की अडिग प्रतिज्ञा का प्रतीक है।
