
40 लाख की लागत से किया जा रहा सौंर्दयींकरण का कार्य
हैदर अली
रोहतास ब्यूरो (संचारटाइम्स.न्यूज)

सासाराम शहर में स्थित ऐतिहासिक हसन शूरशाह का मकबरा ( सूखा रौजा) अब संवरेगा। इसकी कवायद शुरू हो गई है। भारतीय पुरातत्व विभाग ने 40 लाख की लागत से मकबरा के सौंदर्यीकरण का कार्य शुरू कर दिया है। मकबरा परिसर में पेयजल के लिए बोरिंग करने व पर्यटकों के बैठने के लिए कुर्सी व स्टैंड लगाए जा रहे हैं। इसके अलावा पूरे परिसर में लाइट लगाने का भी कार्य शुरू होने वाला है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधीन हसन शाह सूरी का मकबरा भी शेरशाह सूरी मकबरा के समान है। अंतर बस इतना कि शेरशाह सूरी का मकबरा तालाब के बीच है। शेरशाह मकबरा से मात्र आधा किलोमीटर दूर शहर के मध्य में घनी आबादी के बीच अवस्थित हसन शाह सूरी का मकबरा अपनी उपेक्षा के कारण आज पर्यटकों की नजरों से ओझल है। जबकि यह अपनी भव्यता व विशाल संरचना में शेरशाह के मकबरे से कम नहीं है। इस मकबरे का निर्माण शेरशाह ने अपने पिता हसन शाह सूरी की याद में कराया था। वास्तुविदों का मानना है कि उक्त दोनों अष्टकोणीय मकबरे का निर्माण व भव्यता समरूप हैं, परंतु उपेक्षा के कारण पुरातत्व विभाग के अधीन इस मकबरा परिसर में बेतरतीब घास झाड़ उग आया है। काफी दिनों से परिसर पशुओं का चारागाह बन गया है। असामाजिक तत्वों द्वारा यहां बैठकी भी की जा रही थी। अराजक तत्वों के जमावड़े से आस पास के लोगों में भय की स्थिति बनी हुई थी। इस संबंध में सामाजिक रूप से सक्रिय आलोक चमड़िया ने पुरातत्व संरक्षण विभाग के वरीय अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराया था। जिसके बाद गत दिनों पुरातत्व विभाग पटना सर्किल के अधीक्षक डा.सुजीत नयन ने स्थल का निरीक्षण किया था। निरीक्षण के दौरान पुरातत्व विभाग के अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिया था।
