
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाला बागची की पीठ ने कहा कि यह स्थिति देश की एकता और अखंडता के लिए उतनी ही खतरनाक है जितनी कि समाज में सांप्रदायिकता को बढ़ावा देना
ST.News Desk, New Delhi : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राजनीतिक दलों द्वारा वोट पाने के लिए क्षेत्रीयता और जाति-धर्म आधारित राजनीति को बढ़ावा देने पर गंभीर चिंता व्यक्त की। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाला बागची की पीठ ने कहा कि यह स्थिति देश की एकता और अखंडता के लिए उतनी ही खतरनाक है जितनी कि समाज में सांप्रदायिकता को बढ़ावा देना।

यह टिप्पणी उस समय आई जब अदालत ने तेलंगाना शिवसेना अध्यक्ष तिरुपति नरसिंह मुरारी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई से इंकार कर दिया, जिसमें AIMIM का पंजीकरण रद्द करने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता का आरोप था कि AIMIM केवल मुस्लिम समुदाय के हित में काम करती है और उसका संविधान के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के खिलाफ होना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राजनीतिक दलों में धर्म, जाति, और क्षेत्रीयता आधारित राजनीति की प्रवृत्ति व्यापक समस्या है और किसी एक पार्टी को निशाना बनाना समाधान नहीं। अदालत ने कहा, “क्षेत्रीय दल भी जाति आधारित राजनीति करते हैं और यह भी उतना ही खतरनाक है।”
न्यायालय ने यह भी कहा कि संविधान के तहत पिछड़े वर्गों के अधिकारों की रक्षा की गई है और किसी भी धर्म के कमजोर वर्गों के हित में काम करना असंवैधानिक नहीं माना जा सकता। साथ ही धार्मिक पुस्तकों का अध्ययन या शिक्षण भी कोई अपराध नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को सलाह दी कि वे यदि सुधार चाहते हैं तो ऐसी याचिका दाखिल करें जो सभी दलों के लिए समान हो और राजनीतिक सुधार की मांग करे। अदालत ने इस मुद्दे पर न्यायपालिका के सीधे हस्तक्षेप से बचने का रुख अपनाया है और कहा कि देश की राजनीतिक व्यवस्था में व्यापक सुधार आवश्यक है।
अदालत ने यह भी संकेत दिया कि चुनाव आयोग जैसी संस्थाओं की भूमिका और मजबूत होनी चाहिए ताकि कोई भी पार्टी संविधान के मूल्यों के विरुद्ध कार्य न कर सके।
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय भारतीय लोकतंत्र में धर्म, जाति और क्षेत्रीयता आधारित राजनीति की समस्या पर एक व्यापक बहस की मांग करता है। यह एक संकेत है कि आने वाले समय में राजनीतिक सुधार केवल किसी एक पार्टी को नहीं, बल्कि पूरे तंत्र को सुधारने पर केंद्रित होंगे ताकि भारत एक धर्मनिरपेक्ष और अखंड देश बना रहे।
