crossorigin="anonymous"> दिल्ली-एनसीआर प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, सिर्फ योजनाओं से काम नहीं चलेगा- जमीन पर असर दिखना चाहिए - Sanchar Times

दिल्ली-एनसीआर प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, सिर्फ योजनाओं से काम नहीं चलेगा- जमीन पर असर दिखना चाहिए

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ST.News Desk

दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार और सभी संबंधित एजेंसियों को कड़ी फटकार लगाई। CJI सूर्यकांत ने कहा कि अब समय आ गया है कि योजनाओं का ठोस असर जमीन पर दिखे। उन्होंने स्पष्ट कहा—“हम हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठ सकते।”

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर के वायु प्रदूषण संकट पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि मामले की नियमित सुनवाई जरूरी है क्योंकि केवल सुनवाई सूचीबद्ध होने से ही AQI में सुधार देखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि दीर्घकालिक योजनाएँ सार्वजनिक की जाएँ और उन पर विस्तृत चर्चा करके अंतिम रूप दिया जाए। अब अगली सुनवाई 10 दिसंबर को होगी।

सुनवाई के दौरान क्या-क्या हुआ?

एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार ने वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए अल्पकालिक योजनाओं (Short-Term Plans) का शपथपत्र दायर किया है और सभी राज्यों व संबंधित एजेंसियों के साथ बैठकें भी की हैं।

हालाँकि अदालत ने इन योजनाओं के प्रभाव पर सवाल उठाए। CJI ने पूछा—“आपने जो एक्शन प्लान बनाया था, उससे कितनी सकारात्मक प्रगति हुई? हमें यह जानना आवश्यक है। पहले हमें यह भी नहीं पता था कि कौन-कौन से कदम उठाए गए।”

पराली जलाने पर भी चर्चा

सुनवाई के दौरान पराली जलाने का मुद्दा भी उठा। एएसजी ने स्वीकार किया कि राज्यों का लक्ष्य ‘शून्य पराली जलाना’ था, लेकिन इसे हासिल नहीं किया जा सका।

इस पर CJI ने कहा, “पराली जलाना अकेला कारण नहीं है।” “कोविड के समय भी पराली जलाई जा रही थी, लेकिन तब आसमान बिल्कुल साफ था।” “किसान पराली जलाता है तो उसके पीछे आर्थिक कारण हैं—इसे राजनीतिक मुद्दा न बनाया जाए।”

प्रदूषण के लिए कौन जिम्मेदार?

एएसजी भाटी ने IIT की 2016 और 2023 की रिपोर्टों का हवाला दिया। इन रिपोर्टों के अनुसार:

सबसे बड़ा प्रदूषण स्रोत—वाहन

उसके बाद: निर्माण से धूल, औद्योगिक प्रदूषण

पराली जलाना — सिर्फ एक सीमित अवधि की समस्या

सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि एक सप्ताह में विस्तृत रिपोर्ट दी जाए, जिसमें बताया जाए, वाहनों से प्रदूषण नियंत्रित करने के लिए क्या कदम उठाए गए? निर्माण और धूल पर क्या कार्रवाई हुई? इन सबका वास्तविक असर क्या रहा?

इस दौरान एक वकील ने अदालत को बताया कि दिल्ली की सड़कों पर जगह-जगह अवैध पार्किंग से ट्रैफिक और प्रदूषण दोनों बढ़ते हैं। साथ ही यह भी कहा गया कि दिल्ली में वाहनों की संख्या देश के अन्य सभी महानगरों के कुल वाहनों से भी अधिक है। CJI ने कहा कि भविष्य में मेट्रो, पब्लिक ट्रांसपोर्ट और लॉन्ग-टर्म इंफ्रास्ट्रक्चर महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँगे, लेकिन तब तक त्वरित और प्रभावी अल्पकालिक उपाय जरूरी हैं।

10 दिसंबर को अगली सुनवाई

मुख्य न्यायाधीश ने स्पष्ट किया: “हम इस मामले को लंबा लंबित नहीं रहने देंगे। अगर फिर टाला गया तो वही इतिहास दोहराया जाएगा।”


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