crossorigin="anonymous"> "ताबूत पासपोर्ट नहीं मांगते": अहमदाबाद विमान हादसे के बाद वडोदरा के कारीगरों की मार्मिक कहानी - Sanchar Times

“ताबूत पासपोर्ट नहीं मांगते”: अहमदाबाद विमान हादसे के बाद वडोदरा के कारीगरों की मार्मिक कहानी

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ST.News Desk : अहमदाबाद विमान हादसे के बाद जहां पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है, वहीं इस त्रासदी से जुड़ी कुछ मानवीय कहानियां दिल को झकझोर देने वाली हैं। हादसे में 270 से अधिक लोगों की मौत के बाद, वडोदरा और अहमदाबाद के ताबूत निर्माताओं को एक साथ इतने शवों के लिए ताबूत तैयार करने का आदेश मिला — एक ऐसा काम जिसे करते हुए भावनाएं भारी पड़ गईं।

“एअर इंडिया के एक मैनेजर का फोन आया और कहा गया – ‘अरनेश भाई, जल्दी से 100 ताबूत चाहिए।’ हम सब हैरान रह गए। समझ नहीं आया कि इतने बड़े ऑर्डर को लेकर खुश हों या गम में डूब जाएं। सभी कारीगर तुरंत जुट गए।” अहमदाबाद सिविल अस्पताल के बाहर, जब 47 वर्षीय निलेश वाघेला अपने ट्रक में 20 ताबूत लेकर पहुँचे, तो उन्होंने एक मार्मिक बात कही:

“लोग सीमाओं और वीज़ा की बातें करते हैं, लेकिन ताबूत पासपोर्ट नहीं मांगते। मौत में सब एक जैसे दिखते हैं।” निलेश वाघेला ने बताया कि वे रोज़ाना औसतन 7 ताबूत बनाते हैं, लेकिन इस दुर्घटना के बाद जब एकसाथ 100 ताबूतों का ऑर्डर आया, तो उन्हें समझ नहीं आया कि इतने कम समय में यह काम कैसे करें।

“मेरे पास पहले से 50 ताबूत तैयार थे, इसलिए काम थोड़ा आसान हुआ, लेकिन इस बार कुछ अलग महसूस हो रहा है।” गौर करने वाली बात यह है कि निलेश ने न तो ऑर्डर पर कोई अतिरिक्त दाम लिए और न ही एडवांस मांगा। “यह मुनाफा कमाने का समय नहीं है। दुख की इस घड़ी में मदद ही सबसे बड़ी सेवा है।”

अहमदाबाद सिविल अस्पताल में अब तक 270 से अधिक शवों का पोस्टमॉर्टम किया जा चुका है और 230 लोगों के DNA सैंपल लिए जा चुके हैं। अभी तक 8 शवों की शिनाख्त हो चुकी है। अस्पताल के बाहर मृतकों के परिजनों की भीड़ लगी हुई है, हर कोई अपनों की शिनाख्त के इंतजार में है।


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