
राज्यसभा सांसद डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह ने प्रतिमा पर माल्यार्पण कर दी श्रद्धांजलि
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राम जतन सिंह ने गंगाजल से प्रतिमा का शुद्धिकरण कर अर्पित की श्रद्धांजलि
चुनावी माहौल में कांग्रेस नेताओं की श्रद्धांजलि पर उठे सियासी सवाल, क्या यह श्रद्धा है या राजनीति?
ST.News Desk : पटना के सदाकत आश्रम में आज बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री और स्वतंत्रता सेनानी डॉ. श्रीकृष्ण सिंह की जयंती पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया।

राज्यसभा सांसद डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह ने उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की, वहीं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राम जतन सिंह ने प्रतिमा को गंगाजल से शुद्ध कर नमन किया।
इस बीच, कार्यक्रम में उठे सियासी सुर भी चर्चा का विषय बन गए।
कई लोगों ने सवाल किया -“क्या चुनाव के समय अपने समाज के नेता को दी गई यह श्रद्धांजलि केवल सम्मान है या राजनीति?”
कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं ने कहा कि “श्री बाबू का योगदान बिहार के विकास और स्वाभिमान की नींव है, जो सदैव प्रेरणास्रोत रहेगा।”

बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और “बिहार केसरी” के नाम से प्रसिद्ध डॉ. श्रीकृष्ण सिंह जी की 138वीं जयंती के अवसर पर सोमवार को पटना स्थित सदाकत आश्रम में एक श्रद्धांजलि समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर राज्यसभा सांसद डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह ने उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया।
कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. श्रीकृष्ण सिंह के जीवन और योगदान को याद करते हुए हुई। इसके बाद बिहार प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राम जतन सिंह ने श्री बाबू की प्रतिमा को गंगाजल से शुद्ध कर श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि श्री बाबू ने बिहार की नींव को सशक्त बनाने में जो भूमिका निभाई, वह आज भी हम सबके लिए प्रेरणास्रोत है।
हालांकि, कार्यक्रम के दौरान कुछ राजनीतिक चर्चाएँ भी सामने आईं। कई लोगों ने यह सवाल उठाया कि क्या चुनावी माहौल में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं द्वारा अपने ही समाज के नेता को इस तरह श्रद्धांजलि देना केवल परंपरा निभाना है या इसके पीछे कोई राजनीतिक संदेश छिपा है। कार्यक्रम में कांग्रेस परिवार के वरिष्ठ नेता, कार्यकर्ता और स्थानीय नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। सभी ने डॉ. श्रीकृष्ण सिंह को नमन करते हुए कहा कि उनका योगदान बिहार के गौरवशाली इतिहास का अभिन्न हिस्सा है।
डॉ. श्रीकृष्ण सिंह, जिन्हें स्नेहपूर्वक “श्री बाबू” कहा जाता है, स्वतंत्र भारत के पहले बिहार के मुख्यमंत्री थे। उन्होंने न केवल बिहार के औद्योगिक विकास की नींव रखी बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुधारों के क्षेत्र में भी अद्वितीय योगदान दिया। कांग्रेस नेताओं ने इस अवसर पर संकल्प लिया कि श्री बाबू के आदर्शों पर चलकर बिहार को एक बार फिर प्रगति के पथ पर अग्रसर किया जाएगा।
श्रद्धांजलि कार्यक्रम भावनात्मक और ऐतिहासिक दोनों रूपों में महत्वपूर्ण रहा। लेकिन इन सबके बीच उठे सियासी सवाल यह भी दर्शाते हैं कि बिहार की राजनीति में अब भी श्री बाबू जैसी विभूतियाँ सिर्फ अतीत की नहीं, बल्कि वर्तमान की प्रेरणा भी बनी हुई हैं।
