
देश के कोने-कोने में रावण दहन, दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन और शौर्य के उत्सव की गूंज सुनाई दे रही है
ST.News Desk : भारत में आज पूरे हर्षोल्लास के साथ विजयादशमी (दशहरा) का पर्व मनाया जा रहा है। यह पर्व नवरात्रि और दुर्गा पूजा का दसवां और अंतिम दिन होता है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। देश के कोने-कोने में रावण दहन, दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन और शौर्य के उत्सव की गूंज सुनाई दे रही है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीराम ने लंका के राक्षस राजा रावण का वध किया था, वहीं देवी दुर्गा ने महिषासुर जैसे असुर का संहार कर धर्म की पुनर्स्थापना की थी। यही कारण है कि यह पर्व सत्य, धर्म, साहस और सद्भाव का प्रतीक बन चुका है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दी शुभकामनाएं
विजयादशमी की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए देशवासियों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने अपने संदेश में कहा, “विजयादशमी का पर्व अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है। यह हमें सत्य और न्याय के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।”
राष्ट्रपति ने आगे कहा कि यह त्योहार राष्ट्रीय मूल्यों का प्रतिनिधित्व करता है और लोगों को क्रोध, अहंकार जैसी नकारात्मक प्रवृत्तियों को त्यागकर साहस और संयम जैसे गुणों को अपनाने की प्रेरणा देता है। उन्होंने आशा जताई कि यह पर्व समानता, न्याय और सद्भाव से परिपूर्ण एक नए समाज के निर्माण में मददगार साबित होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी विजयादशमी के पावन अवसर पर देशवासियों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा, “विजयादशमी का दिन असत्य और बुराई पर धर्म और पुण्य की जीत का प्रतीक है। यह त्योहार हमें जीवन में साहस, भक्ति और ज्ञान को मार्गदर्शक शक्तियों के रूप में अपनाने के लिए प्रेरित करता है।”
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर सभी के लिए शांति, समृद्धि और उत्तम स्वास्थ्य की कामना की और कहा कि यह पर्व हमें धार्मिक आस्था और नैतिक मूल्यों की ओर लौटने का अवसर देता है।
दशहरा के परंपरागत आयोजन
देशभर में इस दिन रावण, मेघनाद और कुंभकरण के विशाल पुतलों का दहन किया जाता है। यह प्रतीकात्मक रूप से अहंकार, लोभ, क्रोध और अन्य बुराइयों को जलाकर उनके अंत का संदेश देता है।
वहीं, पूर्वी भारत खासकर बंगाल में दुर्गा पूजा का समापन विजया विसर्जन के साथ होता है, जिसमें माँ दुर्गा की प्रतिमा का नदी या समुद्र में विसर्जन कर शक्ति की विदाई की जाती है, लेकिन अगले वर्ष फिर आने की कामना के साथ।
एकता और सद्भाव का संदेश
विजयादशमी केवल धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि यह सामाजिक एकता और सांस्कृतिक समरसता का भी प्रतीक बन गया है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि समाज में मौजूद भीतर और बाहर की बुराइयों पर विजय संभव है, बशर्ते हम सत्य, संयम और संकल्प के मार्ग पर चलें।
इस वर्ष विजयादशमी का पर्व 2 अक्टूबर 2025 को गांधी जयंती के दिन पड़ा, जिससे इसका सत्य और अहिंसा का संदेश और अधिक प्रासंगिक हो गया है। देश भर के मंदिरों, पंडालों, मैदानों और सार्वजनिक स्थलों पर उत्सव की रौनक देखते ही बन रही है। यह पर्व हर किसी को अपने भीतर की बुराइयों से लड़कर आत्मविकास की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा देता है।
