crossorigin="anonymous"> डेहरी विधानसभा सीट पर फिर क्षत्रिय उम्मीदवार की परीक्षा, क्या सोनू कुमार सिंह तोड़ पाएंगे 35 साल की परंपरा? - Sanchar Times

डेहरी विधानसभा सीट पर फिर क्षत्रिय उम्मीदवार की परीक्षा, क्या सोनू कुमार सिंह तोड़ पाएंगे 35 साल की परंपरा?

Spread the love

हैदर अली, संचार टाइम्स ब्यूरो रोहतास

बिहार के रोहतास जिले की डेहरी विधानसभा सीट पर इस बार फिर एक दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल सकता है। इस सीट पर क्षत्रिय उम्मीदवारों के लिए जीतना हमेशा चुनौती रहा है। वर्ष 1990 से अब तक चार बार क्षत्रिय उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा, लेकिन हर बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा है।

बिहार की राजनीति में जातीय समीकरण हमेशा से निर्णायक भूमिका निभाते आए हैं। एनडीए, महागठबंधन, जन सुराज और अन्य दलों ने भी उम्मीदवार चयन में जातिगत संतुलन का विशेष ध्यान रखा है। इसी बीच अब डेहरी सीट पर भी चर्चा का केंद्र बन गए हैं — एलजेपी (रामविलास) के प्रत्याशी सोनू कुमार सिंह, जो क्षत्रिय समाज से आते हैं।

क्षत्रिय उम्मीदवार को कभी रास नहीं आई डेहरी विधानसभा

रोहतास जिले की यह सीट बिहार की राजनीति में अपने अलग समीकरणों के लिए जानी जाती है। यहां 1990, 1995, 2000 और 2010 में क्षत्रिय प्रत्याशी मैदान में उतरे, लेकिन हर बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

1990: भाजपा के विनोद कुमार सिंह को राजद के मोहम्मद इलियास हुसैन ने हराया।
1995: फिर वही मुकाबला हुआ, लेकिन नतीजा भी वही रहा — इलियास हुसैन की जीत।
2000: भाजपा ने गोपाल नारायण सिंह पर भरोसा जताया, मगर तीसरी बार भी इलियास हुसैन विजयी रहे।
2010: भाजपा के अवधेश नारायण सिंह को इस बार निर्दलीय ज्योति रश्मि ने शिकस्त दी।
इस तरह, डेहरी सीट पर क्षत्रिय उम्मीदवारों की हार का सिलसिला जारी रहा है।

निर्णायक भूमिका में क्षत्रिय मतदाता

डेहरी विधानसभा क्षेत्र में लगभग 44,000 वैश्य, 40,000 यादव और 37,000 क्षत्रिय मतदाता हैं। इसके अलावा दलित और मुस्लिम मतदाता भी अहम भूमिका निभाते हैं। मतदाता संख्या में उल्लेखनीय उपस्थिति के बावजूद, क्षत्रिय उम्मीदवारों को जीत नहीं मिल पाई-यही इस सीट की चुनावी पहेली बन चुकी है।

एलजेपी प्रत्याशी सोनू कुमार सिंह पर सबकी नजर

इस बार लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने सोनू कुमार सिंह पर भरोसा जताया है। वे इस सीट पर क्षत्रिय उम्मीदवारों की हार की परंपरा को तोड़ने की चुनौती लेकर मैदान में हैं।

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सोनू कुमार सिंह सामाजिक संतुलन और स्थानीय मुद्दों को साध पाए, तो यह चुनाव डेहरी विधानसभा के इतिहास में नया अध्याय लिख सकता है।

अब सबकी निगाहें इसी पर टिकी हैं

क्या 2025 का चुनाव डेहरी में क्षत्रिय उम्मीदवारों की परंपरागत हार का अंत करेगा, या परंपरा एक बार फिर बरकरार रहेगी?


Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *